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शारदीय नवरात: शारदीय नवरात में माई दुर्गा के सतवां शक्ति कालरात्रि के कहानी, मंत्र आ पूजा विधि

शारदीय नवरात: खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा शारदीय नवरात के नौ दिन के, नौ रूप के कहानी। आजु २१ अक्टुबर के शारदीय नवरात मे माई दुर्गाजी के सतवां शक्ति के कालरात्रि के बारे मे आई जानल जा-

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शारदीय नवरात: खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा शारदीय नवरात के नौ दिन के, नौ रूप के कहानी। आजु २१ अक्टुबर के शारदीय नवरात मे माई दुर्गाजी के सतवां शक्ति के कालरात्रि के बारे मे आई जानल जा-

माँ दुर्गा के सतवां शक्ति के कालरात्रि के नाम से जानल जाला। एकरा खातिर ब्रह्मांड के सभ उपलब्धि के दरवाजा खुले लागेला। देवी कालरात्रि के व्यापक रूप से माई देवी के कई गो विनाशकारी रूप में से एगो मानल जाला – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यु-रुद्रानी, ​​चामुंडा, चंडी आ दुर्गा। रौद्री, धूमरावर्ण कालरात्रि माँ के अन् ज्ञात नाम ह।

माँ कालरात्रि के कहानी

एगो किंवदंती के अनुसार रक्तबीज नाम के एगो राक्षस रहे। इंसान के संगे देवता लोग भी एकरा से परेशान रहे।रक्तबीज राक्षस के खासियत इ रहे कि जसही ओकर खून के बूंद धरती पs गिरल, ओकरा निहन एगो अउरी राक्षस के निर्माण हो जाए। एह दानव से परेशान होके सब देवता भगवान शिव के पास पहुंचले कि समस्या के समाधान जाने। भगवान शिव जानत रहले कि माई पार्वती एह राक्षस के अंत कs सकेली।

भगवान शिव माई से निहोरा कइले। एकरा बाद माँ पार्वती अपना ताकत आ ऊर्जा से माँ कालरात्रि के रचना कइली। एकरा बाद जब माँ दुर्गा राक्षस रक्तबीज आ ओकरा देह से निकलत खून के मार दिहली त माँ कलरात्री जमीन पे गिरला से पहिले आपन मुँह भर दिहली | एही रूप में माँ पार्वती के कालरात्रि कहल जाला।

कालरात्रि माता के पूजा विधि

माँ कालरात्रि के पूजा खातिर सबेरे 4 बजे से 6 बजे तक के समय सबसे बढ़िया मानल जाला।एह दिन सबेरे सबेरे नहा के लाल रंग के कपड़ा पहिन के माई के पूजा करे के चाहीं।एकरा बाद माई के सामने दीप जरा के। अब फल, फूल, मिठाई आदि के साथ विधिवत माँ कलरात्रि की पूजा करी, पूजा के समय मंत्र के जप करे के चाही, ओकरा बाद माँ कालरात्रि के आरती करे के चाही। एह दिन काली चालीसा, सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम आदि चीजन के पाठ होखे के चाहीं।एकरा अलावे सप्तमी के रात में तिल के तेल चाहे सरसों के तेल के दिया भी जरा देवे के चाही।

मां कालरात्रि के मंत्र🌺

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥🌺

 

 

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