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टीबी मरीज के हाल: खर्च कर दिहलें लाखों रुपया, सरकारी अस्पताल के दवा से भइलें ठीक

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टीबी पिपराइच ब्लॉक के मटिहनिया सुमाली गांव के रहे वाले 60 वर्षीय बुजुर्ग के बर्बादी के कगार पर खड़ा कs दिहले रहे। नौ बरिस ले एह बीमारी से लड़त निजी अस्पताल में लाखों रुपया खर्च हो गइल। इहां तक कि खेत ले बंधक रखे के पड़ल। मास ट्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी से ग्रसित बुजुर्ग के 11 साल बाद टीबी से मुक्ति मिलल। अब ऊ स्वस्थ बानें।

बुजुर्ग बतवलें कि बरिस 2008 में उनके बुखार अउर हल्की खांसी के दिक्कत शुरू भइल। कई बेर दवा लेहलें, लेकिन कौनो फायदा नाइ भइल। निजी चिकित्सक के दिखवलें। जांच में टीबी के पुष्टि भइल। नौ महिना दवा चलल, लेकिन फायदा नाइ भइल। आठ साल ले लाखों रुपया खर्च कs के इलाज करवावत रहलें, लेकिन दिक्कत जस के तस बनल रहे।

2017 में एगो निजी चिकित्सक बतवलें कि उनके एमडीआर टीबी बा अउर उनके इलाज में पांच लाख रुपया लागी। साथही सलाह देहलें कि ऊ बीआरडी मेडिकल कॉलेज जाय अउर निशुल्क इलाज करावें। मेडिकल कॉलेज से दवा दे के उनके पिपराइच सीएचसी जाए के कहल गइल। डॉ. पी गोबिंद के देखरेख में एसटीएस संजय सिन्हा के मदद से उनकर दवा शुरू भइल। दू साल के लगातार दवा चलल। सथही खाता में आठ हजार रुपया भी मिलल।

705 एमडीआर मरीज हो चुकल बानें ठीक

सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे बतवलें कि टीबी के ज्यादातर एमडीआर मरीज सरकारी दवाई से ठीक हो रहल बानें। एमडीआर टीबी के निजी अस्पताल में इलाज काफी महंग बा। 2017 से अब ले ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के 705 मरीज इलाज के बाद पूरा तरह से ठीक हो चुकल बानें। सरकारी अस्पताल में सुविधा निशुल्क बा।

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