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परिवार कल्याण के सेहत बिगाड़ रहल बानें अवैध अस्पताल, निजी अस्पताल के जांच के निर्देश

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उत्तर प्रदेश में शहरी इलाका के आसपास चले वाले अवैध अस्पताल मरीज ही नाइ, बलुक परिवार कल्याण कार्यक्रम के सेहत भी बिगाड़ रहल बा। एकरे वजह से संस्थागत प्रसव, टीकाकरण, मातृ-शिशु मृत्यु दर के स्थिति में सुधार नइखे हो पावत। अइसन एह अस्पताल द्वारा स्वास्थ्य विभाग के कौनो रिकॉर्ड मुहैया न करावे के वजह से हो रहल बा।

एह हालात के देखत परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. रेनू श्रीवास्तव के ओर से चिकित्सा अउर स्वास्थ्य महानिदेशक के चिट्ठी लिख के गैर पंजीकृत अस्पतालन के खिलाफ कड़ा कार्रवाई करे के कहले बानें। जिनके पर चिकित्सा अउर स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह सब सीएमओ के कमेटी गठित कs के निजी अस्पताल के निरंतर जांच के निर्देश दिहले बानें। इहो कहल गइल बा कि नियमन के अनदेखी करे वाले कौनहूँ अस्पताल के संचालन नाइ होखे दिहल जाई।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस)-5 के रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में संस्थागत प्रसव के दर 83.4 फीसदी बा। एके 2030 में 90 फीसदी से ऊपर ले जाए के बा। एहमें शहरी इलाका के दर 85.5 फीसदी अउर ग्रामीण के 82.9 फीसदी बा। एनएफएचएस-4 के तुलना कइल जाय त शहरी इलाका में संस्थागत प्रसव पांच साल बाद खातिर 13.4 फीसदी बढल जबकि ग्रामीण इलाका के दर 16.1 फीसदी बढ़ल।

बदलत हालत में स्वास्थ्य विभाग के मानल जाव त अभिन ग्रामीण इलाकन में संस्थागत प्रसव के दर में बढ़ोतरी के स्तर कम होला अउर शहरी में अधिक। लेकिन पिछले दिन स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में ई बात सोझे आइल कि जौने गति से ग्रामीण इलाका में संस्थागत प्रसव सहित अन्य परिवार कल्याण कार्यक्रम के बढ़ोतरी मिलल बा, ओ अनुपात में शहरी इलाकन के ग्राफ में ठहराव बा।

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