हर महीना के कृष्ण आ शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि के प्रदोष व्रत करे के परंपरा बा। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के पूजा कइला से वांछित परिणाम मिलेला। बता दीं कि जवना हप्ता के दिन प्रदोष व्रत पड़ेला ओकर नाम भी ओही हिसाब से होला। अबकी बेर प्रदोष व्रत मंगल के दिने पड़ रहल बा, एही से एकरा के भौम प्रदोष कहल जाई. असल में मंगल के नाम भी भौम हs, एही से एह दिन मनावल जाए वाला प्रदोष व्रत के भौम प्रदोष कहल जाला। भौम प्रदेश के दिन भोलेनाथ के साथे हनुमान जी के पूजा करके जीवन में मंडरा रहल हर संकट दूर हो जाला।
भौम प्रदोष व्रत विधि
एह दिन भक्त के रोजमर्रा के काम से निवृत्त भइला के बाद उपवास करे के प्रण लेबे के चाहीं आ दिन भर उपवास कइला के बाद साँझ के फेर से नहा के सफेद कपड़ा पहिरे के चाहीं आ प्रदोष व्रत के पूजा खातिर जगह चुने के चाहीं उत्तर-पूरुब के कोना में पूजा स्थल के गंगाजल भा साफ पानी से शुद्ध कइला के बाद मंडप के गोबर से लीप के तइयार करे के चाहीं। एह मंडप में कमल के फूल के आकार पांच रंग से बनाईं। अगर रउरा चाहत बानी तs बाजार में कागज पs अलग अलग रंग से बनल कमल के फूल के आकार के भी खरीद सकेनी। साथ ही भगवान शिव के मूर्ति या चित्र भी रखी। एही तरे मंडप तइयार कईला के बाद पूजा हो जाई.
सब सामग्री अपना लगे रख के कुश के आसन पs बइठ के उत्तर-पूर्व दिशा के ओर मुँह कs के भगवान शिव के पूजा करीं। एकरा बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र के जप करीं। जइसे फूल चढ़ा के ‘ॐ नमः शिवाय’ कही, फल चढ़ावत ‘ॐ नमः शिवाय’ के जप करी। भगवान शिव के आराधना के बाद हनुमान जी के भी पूजा होखे के चाहीं आ उनुका के सिंदूर चढ़ावे के चाहीं। काहे कि ई भौम प्रदोष के व्रत हs आ भौम प्रदोष में हनुमान जी के भी पूजा होला।
भौम प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
भौम शुक्ल प्रदोष व्रत मंगल- 15 अक्टूबर 2024
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 15 अक्टूबर को दुपहरिया 3 बजके 42 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 16 अक्टूबर के रात 12 बजके 19 मिनट पs
प्रदोष पूजा मुहूर्त- सांझ 5 बजके 51 मिनट से रात 8 बजके 21 मिनट ले
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – दुपहरिया 3 बजके 42 मिनट से