विजयदशमी के परब वाराणसी के अन्नपूर्णा मंदिर में शस्त्र के पूजा कऽ के मनावल गइल। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी हथियार आ झंडा के पूजा कइले। एह दौरान माता के तलवार, तलवार आ बाकी शस्त्र के संगे-संगे राइफल के पूजा होखत रहे। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी कहलन कि हर साल एह परम्परा के पालन कइल जाला।
बता दीं कि शास्त्र में जीत खातिर युद्ध में जात घरी शस्त्र के पूजा करे के नियम के जिक्र भइल बा। विजयदशमी परब बुराई पऽ अच्छाई के जीत के प्रतीक परब के रूप में मनावल जाला, एही से शस्त्र के पूजा होला।
विजयदशमी पर्व के लेके काशी में बहुत उत्साह बा। चौराहा आ मैदान में रावण के मूर्ति जरावल जाला, एकरा साथे-साथे संदेश दिहल जाला कि बुराई के अंत होला। कवनो धार्मिक शहर में शस्त्रार्थ के महत्व बा, बाकिर जरूरत पड़ला प समाज के रक्षा खाती शस्त्र के भी इस्तेमाल होखेला। एही संदेशन से पूजा शुरू भइल आ मंत्रोच्चार भइल। देवी के आह्वान कइल गइल आ शस्त्र के परनाम कइल गइल आ रक्षा खातिर आशीर्वाद लिहल गइल।