मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा, मैं तुमको याद आना चाहता हूं…। तुम्हें बस ये बताना चाहता हूं, मैं तुमसे क्या छिपाना चाहता हूं…।असंख्य हृदय में अइसन अनगिनत पंक्तियन के बसेरा बनाके अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर फहमी बदायूंनी हमेशा खातीर याद में समा गइले।
72 बरीस के शरीर लमहर बेमारी से ग्रस्त रहे। ऊ दरद उनका चेहरा से चमक छीनत रहे। आखिर ‘तूहमारा हाल तुम भी पूछते हो, तुम्हें तो मालूम होना चाहिए था’… लाइन के दोहराव के मजबूत करे खातिर व्यक्तित्व अतवार के साँझ समय के स्थिर हो गईल। इनकरी निधन के साथ जिला के साहित्य के एगो अध्याय के अंत हो गइल।
बिसौली के मोहल्ला पठान टोला में जनमल पुत्तन खान 80 के दशक में कविता के साथी बना के एगो नया नाम मिलल – फहमी बदायूंनी। उनकर कला के सराहे वाला लोग हमेशा एह नाम के इस्तेमाल करत रहे आ ई नाम उनका के पूरा दुनिया में पहचान दिहलस। उनकर करीबी लोग के कहनाम बा कि उs एगो मुशैरा में पढ़ले रहले कि ‘प्यासे बच्चे पूछ रहे हैं, मछली-मछली कितना पानी, छत का हाल बता देता है, परनालों से बहता पानी … ।’
ऊ शेर एतना गुंजायमान हो गइल कि फहमी बदायूंनी साहित्य के आसमान में तारा के रूप में उभर के सामने आवे लगल। उनकर कई गो चेला बाड़े, जे हर मुशैरा भा कवि सम्मेलन के उनका नजर में बसवले बाड़े।