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122 साल के आंकड़न के धोखा दे रहल बा मौसम, पहिला बेर गलत साबित हो रहल बा पूर्वानुमान

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जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम के पूर्वानुमान गलत साबित हो रहल बा। 122 साल में पहिला बेर अयीसन स्थिति मौसम विभाग के चिंता में डाल देहले बा। खुद भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के ओर से कहल गईल बा कि मौसम के पूर्वानुमान लगावे वाली तमाम एजेंसी प्रभावित बा।

एकरा के देखत कानपुर समेत सगरी मौसम एजेंसियन से कहल गइल बा कि ऊ लोग अपना मॉनिटरिंग नेटवर्क आ पूर्वानुमान मॉडल में सुधार ले आवे के दिशाईं काम करें।

स्थानीय चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विभाग के प्रमुख डॉ. एसएन पाण्डेय के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के चलते इ पहिला मौका बा जब कम समय में भारी बरखा के घटना में बढ़ोतरी भईल बा।

पहिले के मानसून के बरखा में पूरा दिन चाहे कई घंटा ले लगातार बरखा होखत रहे। अब बदलल रूप में कम समय में भारी बरखा हो रहल बा। एकरा से पहिले दिन भर बरखा के बूंदाबांदी 40 से 50 मिमी रहे। अब एक-दू घंटा में एतना बरखा हो जाला। उ कहले कि रुक-रुक के बरखा खेती खाती निमन बा। साथ ही गर्मी ना बढ़ेला।

कुछ घंटा बरखा के बाद नमी बढ़ जाला। जुलाई से अगस्त तक अब तक कानपुर समेत देश के बाकी हिस्सा में ए प्रकार के बरखा कई बेर भईल बा। आईएमडी के महानिदेशक के हवाला से स्थानीय मौसम विभाग प्रमुख डा. पाण्डेय बतवले बाड़न कि मौसम के पूर्वानुमान अब तक के 122 साल के आंकड़ा के आधार प कईल जाता। अबकी बेर भविष्यवाणी सही ना भइल

देश में दिन में भारी बारिश के संभावना बढल

भारत के मौसम बिभाग के अनुसार 1970 से ले के दैनिक बरखा के आँकड़ा के बिस्लेषण से पता चलल बा कि देश में भारी बरखा के दिन बढ़ गइल बा, जबकि हल्का आ मध्यम बरखा के दिन कम हो गइल बा। मतलब अगर बरखा नइखे होत त बरखा बिल्कुल नइखे होत। अध्ययन से साबित भईल बा कि इ बदलाव जलवायु परिवर्तन के नतीजा ह।

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