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कहानी डाक टिकटन के: कइसे जारी भइल दुनिया के प्रथम डाक टिकट ‘ पैनी ब्लैक’

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जबले डाक टिकट ना चलन ना भइल, तबले चिड्डी के शुल्क भा तs भेजे वाला के पहिले से देबे के पड़े, भा बाद में पावे वाला के। दूरी के हिसाब से चिड्डी महसूल लिहल गईल। चिट्ठी पs कई तरह के मोहर लगावल जात रहे। कुछ पs राजस्व के रसीद के निशान लागल रहे तs कुछ पs राजस्व के कवनो रसीद ना लागल रहे। तब ले लिफाफा के चलन ना रहे। चिट्ठी के मोड़ के सील लगा के पीछे के ओर पता लिखल जात रहे। डाक सेवा में बहुत सुधार भईल, लेकिन जनता के मांग के मुताबिक सस्ता अवुरी संगठित ना रहे।

दुनिया के पहिला डाक टिकट ब्रिटेन में एक सौ पचास साल पहिले जारी भइल रहे। ई डाक टिकट एगो छोट चौकोर कागज पs करिया रंग में छपल रहे। एह पs ब्रिटेन के रानी के चित्र रहे आ एकर दाम एक पइसा रहे। ई डाक टिकट ‘पैनी ब्लैक’ के नाम से मशहूर भइल। हालांकि ई डाक टिकट 1 मई 1840 के बिक्री खातिर जारी भइल रहे, बाकिर 6 मई 1840 से डाक के काम खातिर एकरा के मान्य मानल गइल। इहाँ से ही डाक टिकट के परंपरा सुरू होला। एह डाक टिकट के कहानी बहुते रोचक बा।

1837 में रोलैंड हिल डाक प्रणाली में सुधार आ डाक टिकट से डाक शुल्क के वसूली पs दू गो शोध पत्र प्रकाशित कइलें। एह शोधपत्रन में ऊ सुझाव दिहलन कि आधा औंस के हर चिट्ठी पs एक पइसा के एक समान डाक दर लगावल जाव, चाहे ऊ चिट्ठी कतनो दूर ले जाव आ डाक शुल्क पहिले दिहल जाव। रहल बात डाक शुल्क के भुगतान के तs हिल छोट-छोट मुहर लगावल लेबल जारी करे के सुझाव देले, जवन कि खाली एतना बड़ होखे कि मुहर लगावल जा सके।

ब्रिटिश सरकार गोंद वाला डाक टिकट खातिर एगो उपयुक्त डिजाइन तइयार करे खातिर एगो प्रतियोगिता के आयोजन कइलस। एह प्रतियोगिता में 2600 प्रविष्टि मिलल बाकिर एहमें से कवनो डिजाइन उपयुक्त ना मिलल। अंत में हिल रानी के चित्र डाक टिकट पs छपवावे के फैसला कईले। एह तस्वीर खातिर ऊ रानी के चित्र चुनलें जेकरा के विलियम वायन 1837 में शहर के स्थापना के याद में जारी एगो मेडल पs चित्रित कइले रहलें। उs एकर आकार टैक्स लेबल पs इस्तेमाल होखेवाला तस्वीर निहन रखले। वायन के पदक पs लागल तस्वीर के आधार पs डाक टिकट तइयार करे खातीर लंदन के हैनरी कारबोल्ड नाम के एगो चित्रकार से कहल गईल कि उs एकरा के वाटर कलर में दोबारा पेश करस।एक पइसा के डाक टिकट करिया रंग में आ दू पेंस के डाक टिकट नीले रंग में छपल रहे। हालाँकि, 8 मई 1840 ले ले दू गो पेंस के डाक टिकट जारी ना भइल।

पैनी ब्लैक के साथे डाक स्टेशनरी जइसे कि लैटर शीट्स, रैपर्स आ लिफाफा भी छप के जारी कइल गइल। इनहन में मुलरेडी लिफाफा (जेकर नाँव इनहन के डिजाइनर विलियम मुलरेडी के नाँव पs रखल गइल) परसिद्ध बा। ई डिजाइन काफी लोकप्रिय भइल बाकिर लिफाफा लोकप्रिय ना भइल। पैनी ब्लैक टिकट एक साल से भी कम समय ले इस्तेमाल में रहल आ 1841 में एकर जगह पैनी रेड टिकट ले लिहल गइल।

पैनी ब्लैक डाक टिकट के बाद अउरी कई देश भी एक के बाद एक डाक टिकट जारी करे लागल। भारत में डाक टिकट 1852 में शुरू भइल।

स्वतंत्र भारत के पहिला डाक टिकट नया भारतीय ध्वज के दर्शावेला: फोटो

 

ओकरा बाद जब ब्रिटेन में डाक टिकट जारी करे के कोशिश सफल भइल तs दोसरो देश डाक टिकट जारी करे लागल। डाक टिकट जारी करे वाला दूसरा देस ब्राजील (1843) रहल। एही साल जूरिख आ जेनेवा प्रांत आपन डाक टिकट जारी कइलस। 1845 में बासेल राज्य डाक टिकट जारी कइलस। अमेरिका, त्रिनिदाद में 1847 में भइल आ मोरिशस आपन-आपन डाक टिकट जारी कइलस। फ्रांस , बेल्जियम आ बवेरिया 1849 में डाक टिकटन के चलन शुरू कइलस। 1850 से कई देश डाक टिकट जारी करे लागल।

 

 

 

 

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