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छोट अपराधन में सजा काट चुकल कैदियन के मिली आजादी, SC के आदेश पs जेल से होई रिहाई

प्ली बारगेनिंग के प्रावधान लागू होखला के 17 बरिस बादो एह दिशा में  कवनो संतोषजनक प्रगति नइखे भइल। एकर कवनो आंकड़ा मवजूद नइखे कि केतना अपराधियन के प्ली बारगेनिंग के तहत छोड़ल गइल। इहे वजह बा कि सर्वोच्च अदालत एह ममिलन के अपना हाथन में लिहल गइल बा। जस्टिस एसके कौल के पीठ आ आउर स्वत: संज्ञान ममिला में यूपी के जेलन में बंद 60 बरिस से बेसी के कैदियन के रिहा करे, आ जे आपन सजा के आधा अवधि काट चुकल बाड़े, ओह लो के सशर्त माफी देवे आ पैरोल पs छोड़े खातिर सलाहकार बोर्ड बनावे पs सुनवाई कs रहल बाड़े। 

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छोट अपराधन में आधा सजा काट चुकल कैदी जेलन से रिहा कइल जाई लो। सुप्रीम कोर्ट प्ली बारगेनिंग प्रावधान के तहत अपराधियन के छोड़े खातिर देश के 13 हाईकोर्ट आ राज्यन के निरदेसित कइले बा।

शीर्ष अदालत कहलस कि अइसन छोट अपराध वाला कैदियन के चिन्हल जाव, जे आपन अपराध के आधा सजा काट चुकल बा। अइसन अपराधियन के प्ली बारगेनिंग करवाके जेलन से मुक्त कइल जाव।

सुप्रीम कोर्ट जेलन में भीषण भीड़ आ अदालतन में मुकदमन आ अपीलन के निपटे में लागे वाला लमहर समय के देखत ई डेग उठवले बा।

छत्तीसगढ़ के बेहतर प्रदर्शन

एह ममिला में छत्तीसगढ़ जइसन छोट राज्य प्रगति कइले बा। उ 31 ममिलन में फसीला ले लेले बा। छत्तीसगढ़ हर जिला आ तालुका से तीन मजिस्ट्रेटन के सनीचर के जेलन में भेजके प्ली बारगेनिंग माफी पs फसीला लेवे के पहल कइले बा। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली, गुवाहाटी, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान आ पश्चिम बंगाल के आदेस देले बिया कि उहो अइसन प्रयास करें आ प्ली बारगेनिंग के माध्यम से अपराधियन के रिहा करें। संगही आउर राज्यन कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात से कहले बा कि उहो एह मॉडल के अपनावे। कोर्ट एह ममिला के लगातार निगरानी कs रहल बा। एह पs अगिला सुनवाई 14 सितंबर के होई।

का बा ‘प्ली बारगेनिंग’?

ई सजा माफी के एगो प्रावधान बा। एमे सात बरिस भा ओसे कम के सजा पावे वाला अपराधन में, अपराधी के गुनाह कबूलला पs लागू कइल जाला। माफी के प्रावधान धारा 265ए से 265एल के 2005 में संशोधन के जरिये सीआरपीसी में जोड़ल गइल रहे। गंभीर अपराधन जइसे हत्या, दुष्कर्म, डकैती, बच्चन के प्रति अपराधन में ई प्रावधान लागू ना रहे।

17 बरिस बीतला के बाद परिणाम सिफर

प्ली बारगेनिंग के प्रावधान लागू होखला के 17 बरिस बादो एह दिशा में  कवनो संतोषजनक प्रगति नइखे भइल। एकर कवनो आंकड़ा मवजूद नइखे कि केतना अपराधियन के प्ली बारगेनिंग के तहत छोड़ल गइल। इहे वजह बा कि सर्वोच्च अदालत एह ममिलन के अपना हाथन में लिहल गइल बा। जस्टिस एसके कौल के पीठ आ आउर स्वत: संज्ञान ममिला में यूपी के जेलन में बंद 60 बरिस से बेसी के कैदियन के रिहा करे, आ जे आपन सजा के आधा अवधि काट चुकल बाड़े, ओह लो के सशर्त माफी देवे आ पैरोल पs छोड़े खातिर सलाहकार बोर्ड बनावे पs सुनवाई कs रहल बाड़े।

एह कारणन से ‘प्ली बारगेनिंग’ लोकप्रिय नइखें

1- ‘प्ली बारगेनिंग’ के लोकप्रिय ना होखला के पीछे एगो कारण ई बतावल गइल बा कि ‘प्ली बारगेनिंग’ के विफल होखे के स्थिति में अपराधियन के सख्त सजा मिले के आशंका सामने आइल बा। उनकर कहनाम बा कि जदि उ आपन गलती मान लेत बा आ कोर्ट में माफी के अर्जी देत बा। जदि कोर्ट एकरा के स्वीकार ना कइलस आ खरिज कs देलस, तs मुकदमा चलला पs उनका पूरा सजा मिली काहेकि उ आपन गलती स्वीकार कs चुकल बाड़े। एह पs सुप्रीम कोर्ट कहलस कि ई चिंता के विषय बा, एह पs विस्तृत दिशा-निरदेस दिहल जा सकत बा।

2- भारत में ‘प्ली बारगेनिंग’ दंड केंद्रित बा, जबकि आउर देशन में ई अपराध के प्रकृति पs केंद्रित बा। भारत में अपराधी जदि आपन दोष स्वीकार करत बा आ कम सजा लेके छूटत बा, तs ओह पs दंडित होखे के दाग बनल रहेला। जेकर सामाजिक परिणाम होला। एह कारण उ एकरा से हिचके ला लो। कोर्ट के सलाह दिहल गइल बा कि न्यायिक आदेस से एह कमी के दूर कइल जा सकत बा। बाकिर कोर्ट एसे इनकार कs देलस आ कहले कि ई काम विधायिका के हs।

अमेरिका आ आउर विकसित देसन में का बा प्रावधान?

इहां अपराध के प्रकृति के मोताबिक माफी के प्रावधान बा। एकरा अलावे माफी तबे दिहल जाला, जब अभियुक्त मुकदमा ना लड़े आ सीधे आपन दोष स्वीकार कs लेवे। माफी के एह विधियन के अल्फोर्ड प्ली आ नोलो कंटेंडर प्ली कहल जाला।  एमे छूटला पs अपराधी पs दोष सिद्धी भा दंडित होखे के दाग ना रहेला। भारत में एकरा के लागू करे खातिर कोर्ट प्रयास कर रहल बा।

कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

4.5 लाख के लगभग दोषी जेलन में बंद बा लो।
तीन लाख के लगभग एमे से विचाराधीन कैदी (68 फीसदी अनपढ़/स्कूल छोड़ चुकल)

एह राज्यन के आदेस:

दिल्ली, गुवाहाटी, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात एवं छत्तीसगढ़।

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