आज कार्तिक महीना के पहिला प्रदोष व्रत हs। हिन्दू धर्म में एह व्रत के खास महत्व बा।ई व्रत भगवान शिव आ देवी पार्वती के समर्पित बा। एह दिन भगवान शिव आ देवी पार्वती के साथे भगवान गणेश आ नंदी के भी पूजा होला। प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष आ शुक्ल पक्ष दुनो के त्रयोदशी तिथि (13वां दिन) के मनावल जाला। एह से हिन्दू कैलेंडर में हर महीना दू बेर आवेला। अइसन स्थिति में नवम्बर के पहिला प्रद्रोष व्रत के पूजा विधि, शुभ समय आ महत्व के बारे में जानल जाव।
कार्तिक मास प्रदोष व्रत मुहूर्त
13 नवम्बर, सांझ 05:38 बजे से सांझ 08:15 बजे ले।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष के दिन सूर्योदय आ सूर्यास्त से ठीक पहिले के समय के शुभ मानल जाला। एह समय जवन भी पूजा होला उs सब बहुत फलदायी होला। अइसना में प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जाग के नहा के साफ कपड़ा पहिन के। एकरा बाद पूजा के तैयारी करीं।
पूजा स्थल के साफ कइला के बाद भगवान शिव के मूर्ति के स्थापना करीं आ ओकरा बाद ओकरा पs बिल्वपत्र के पतई चढ़ाईं। साथही अगर शिवलिंग के पूजा करत बानी तs पहिले दूध, दही आ घी से नहा के बेल पत्र चढ़ाईं।
अइसन कइला के बाद प्रदोष व्रत कथा भा शिव पुराण पढ़ीं। अगर रउरा चाहत बानी तs 108 बेर महामृत्युंजय के जप भी कs सकेनी। पूजा खतम भइला के बाद कलश से पानी लेके माथा पs पवित्र राख लगाईं। मानल जाला कि शिव मंदिर भा कवनो पवित्र स्थान में एह दिन साँझ के दीप जरावल बहुते फलदायी होला.
प्रदोष व्रत 2024 का महत्व
प्रदोष व्रत के लाभ के स्कंद पुराण में बतावल गइल बा। मानल जाला कि एह पावन व्रत के भक्ति आ आस्था के साथ करे वाला के संतुष्टि, धन आ सुस्वास्थ्य मिलेला।