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साहित्य: 131वां सृजन संवाद में नासिरा शर्मा के लेखन यात्रा

विदेशी भूमि के अलावा नासिरा शर्मा आपन लेखनी में इलाहाबाद, बिहार आदि के कथानक स्थापित कइले बाड़ी।उहाँ के अइसन कहानी आ उपन्यास लिखनी जवना में मरद मेहरारू दुनु के चर्चा भइल काहे कि एक समय में नारी के स्त्री विमर्श की बनावट अइसन रहे कि पुरुष के नारी के दुश्मन मानल जात रहे आ ओकरा के एक तरफ राखल जात रहे। मेहरारू के बारे में बहुत चर्चा होत रहे, लेकिन ना तs मरद ना मेहरारू मरद के बारे में लिखत रहली। लेकिन उ अयीसन नईखी मानत। उनुकर मानल ​​बा कि दुनो लोग हमेशा एक संगे रहेले, एहसे दुनो के बीच चर्चा होखे के चाही।

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जमशेदपुर के साहित्य, सिनेमा आ कला संस्था ‘सृजन संवाद’ के 131वां संगोष्ठी के आयोजन स्ट्रीमयार्ड आ फेसबुक लाइव पs कइल गइल। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार, कहानीकार, उपन्यासकार नासिरा शर्मा के बियफे साँझ छह बजे मुख्य वक्ता के रूप में बोलावल गइल।

एह कार्यक्रम के संचालन यायावरी वाया भोजपुरी के संस्थापक वैभव मणि त्रिपाठी जी कइले। वैभव मणि त्रिपाठी ‘सृजन संवाद’ कार्यक्रम के संयोजिका डॉ. विजय शर्मा के स्वागत खातिर आमंत्रित कइले। डा. विजय शर्मा मंच पs मौजूद श्रोता/दर्शकन के स्वागत करत फेसबुक लाइव में बतवली कि ऊ धर्मयुग के दौर से नासिरा शर्मा के पढ़त आइल बाड़ी। आजु उ सृजन संवाद के मंच से आपन लेखन यात्रा दर्शक/श्रोता लोग के साझा करीहे।

वक्ता नासिरा शर्मा के परिचय देत कहानी लेखिका गीता दुबे कहली कि ‘साहित्य अकादमी से सुशोभित नासिरा जी के खाली पुरस्कार नईखे मिलल, बलुक उनुकर रचना के कई भाषा में अनुवाद भइल बा। उनकर अनोखा काम विदेशी देशन पs खास कs के ईरान आ अफगानिस्तान पs बा। ‘सात नदियाँ एक समुंदर’, ‘शाल्मली’, ‘ठीकरे की मंगनी’, ‘पारिजात’, ‘कुंइयांजान’ वगैरह उपन्यास के साथे रउरा बहुते कहानी लिखले बानी। राउर रिपोतार्ज बहुते पढ़ल जाला। रउरा फिलिमन से भी जुड़ल बानी आ अनुवाद के बहुत काम कइले बानी।’ गीता दुबे उनुका से आपन विचार राखे के (विषय: मेरी लेखन यात्रा)आग्रह कइली।

करीब एक घंटा ले आपन बात रखत नासिरा शर्मा एगो सवाल के जवाब देत विस्तार से बतवली कि उ कइसे ईरान पहुंचली अवुरी खुमैनी के संगे बहुत महत्वपूर्ण लोग के साक्षात्कार लेली। निर्भीक पत्रकार रहल बाड़ी, जवन देखली उs लिखली। उs कुछ अउर बने के चाहत रहली बाकिर लेखन उनका के कवनो दोसरा दिशा में ले गइल। उनुका बहुते नीक लागल कि एहिजा उनुका से ईरान के अलावे दोसरा देशन पs उनुका काम पs पूछताछ कइल जा रहल बा आ ऊ एह संदर्भ में अफगानिस्तान आ पाकिस्तान के आपन अनुभव साझा करत बाड़ी। अफगानिस्तान के आम जनता ओह घरी भी मुश्किल में रहे|

 

उहाँ के अइसन कहानी आ उपन्यास लिखनी जवना में मरद मेहरारू दुनु के चर्चा भइल काहे कि एक समय में नारी के स्त्री विमर्श की बनावट अइसन रहे कि पुरुष के नारी के दुश्मन मानल जात रहे आ ओकरा के एक तरफ राखल जात रहे। मेहरारू के बारे में बहुत चर्चा होत रहे, लेकिन ना तs मरद ना मेहरारू मरद के बारे में लिखत रहली। लेकिन उ अयीसन नईखी मानत। उनुकर मानल ​​बा कि दुनो लोग हमेशा एक संगे रहेले, एहसे दुनो के बीच चर्चा होखे के चाही।

विदेशी भूमि के अलावा नासिरा शर्मा आपन लेखनी में इलाहाबाद, बिहार आदि के कथानक स्थापित कइले बाड़ी। बचपन इलाहाबाद में बितवली आ बहुत कम उमिर में दिल्ली आ इंग्लैंड में रहत रहली। पढ़े-लिखे के क्षमता उनुका विरासत में मिलल बा।उनका के देश से जादा विदेश के खासकर ईरान लोग से लिखे के प्रेरणा आ प्रोत्साहन मिलल।एक घंटा से अधिका समय ले चलल एह कार्यक्रम में नासिरा शर्मा आपन विचार विस्तार से पेश कइली आ ​​सवालन के जवाब भी दिहली।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन जानल -मानल सुप्रसिद्ध कहानीकार अख्तर आज़ाद नासिरा शर्मा के वक्तव्य पs टिप्पणी करत घरी दिहलन। फेसबुक लाइव के माध्यम से सृजन संवाद में देहरादून से सिने-समीक्षक मन मोहन चड्ढा, जमशेदपुर से डॉ.क्षमा त्रिपाठी, डॉ. मीनू रावत, गीता दूबे, अर्चना, अरविंद तिवारी, जोबा मुर्मू, रांची से तकनीकी सहायता देवे वाला ‘यायावरी वाया भोजपुरी’ फ़ेम के वैभव मणि त्रिपाठी, दिल्ली से न्यू डेल्ही फ़िल्म फ़ाउंडेशन के संस्थापक आशीष कुमार सिंह, रक्षा गीता, भूपेंद्र कुमार, बड़ौदा से रानो मुखर्जी, गोरखपुर से पत्रकार अनुराग रंजन, बैंग्लोर से पत्रकार अनघा, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पाण्डेय आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहले। जेकर टिप्पणी कार्यक्रम के अउरी समृद्ध कइलस। सभे एकमत रहे कि नासिरा शर्मा के फेर से बोलावल जाव काहे कि अबहीं बातचीत समाप्त नइखे भइल। ‘सृजन संवाद’ के दिसंबर गोष्ठी (132वां) सिनेमा पs होखी। एही जानकारी के साथे कार्यक्रम के समापन भइल।

 

 

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