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Kanpur: संकट मोचन मंदिर में नीम के पेड़ के नीचे जरल जोत, उमड़ल आस्था के सैलाब

कानपुर में संकट मोचन हनुमान मंदिर में लागल नीम के पेड़ के जड़ में जोत जरत मिलला से आस्था के सैलाब उमड़ पड़ल। लोग एकरा के आस्था के चमत्कार मानके पूजा-अर्चना करे लागल।

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कानपुर में चकेरी के ओम पुरवा इस्थित नई बस्ती में संकट मोचन हनुमान मंदिर में लागल नीम के पेड़ के जड़ पs बियफे सबेरे एगो आग के जोत जरत मिलल। एकरा बाद मोहल्ला के लोग एकरा के आस्था के चमत्कार मानके पूजा-अर्चना करे लागल। ई बात आसपास के मोहल्लन में जंगल में आग के तरह फइल गइल।

आस्था के सैलाब में लोग माथा टेकल सुरू कs देलस। जोत जरे के सिलसिला चल रहल बा। चकेरी के ओम पुरवा नई बस्ती में करीब 35 साल पुरान श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर बा। एमे करीब 4 दशक पुरान नीम के पेड़ बा। बियफे के सबेरे नीम के पेड़ के जड़ के लगे अचानक जोत जरे लागल। इहां पूजा करे आइल मोहल्ला के रीना के नजर पड़ल। उनका जानकारी पs लोग जमा होखे लागल। मोहल्ला के सोनू, छोटू, शकुंतला बतावल, एकरा पहिले नवंबरो में अचानक जोत जरत मिलल रहे। तब काली माता के मूर्ति के आगे जरल रहे।

ई बात धीरे-धीरे चरचा के विषय बन गइल। अगल-बगल के लोग जमा हो गइल आ इहां पूजा-अर्चना के सिलसिला सुरू हो गइल। एकरा संगे लोग फोटो, वीडियो बनावल सुरू कs दिहल। ओह लोगन के कहनाम बा कि ई आशीर्वाद हs जवन ओह लोगन के जोत के रूप में मिल रहल बा।

वैज्ञानिक रूप से जोत के ई हो सकत बा कारण

पुरान पेड़न में राल भा रेजिन गोंद जइसन हाइड्रोकार्बन द्रव्य होला। जवन वृक्षन के छाल आ लकड़ी से निकलेला। ओइसे ई रेजिन आउर पेड़न के तुलना में चीड़ जइसन कोणधारी (कॉनिफरस) पेड़न से जादे मात्रा में निकलेला। रेजिन के प्रयोग गोंद, लकड़ी के रोगन (वार्निश), सुगंध आ अगरबत्तियां बनावे खातिर सदियन से होत आइल बा। कबो-कबो रेजिन जमके पत्थर बन जाला आ बड़ डलन के रूप ले लेला। जवन समय के संगे जमीन में दफन हो जाला।
सालो साल बाद ई कहरुवे (ऐम्बर) के नाम से बहुमूल्य पत्थरन के तरह निकालल जाला आ आभूषणन में इस्तेमाल होला। बतावल जात बा कि आग के संपर्क में अइला से एमे आग लाग जाला आ ई जदि लगातार जरत रहे, तs पेड़ के जिनगी नष्ट हो सकत बा। हमनी के ई मान सकत बानी कि ई गोंद पेड़ के आपन सुरक्षा के ताकत होला।

साभार: अमर उजाला

 

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