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जानीं काहें भगवान के पीठ के दर्शन कइल होला अशुभ

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मंदिर में परिक्रमा करत टाइम मूर्ति के पीठ के भी लोग प्राणाम कर लेला। यानी जौन मूर्ति स्थापित बा ओकरे पीछे के जौन दीवार है, लोग परिक्रमा क समय ओह दीवार के पिछला हिस्सा पर ओम या स्वास्त्कि बन के ओकरो पूजा करे लागल बानें। का कौनो देवी या देवता के पीठ के प्रणाम कइल उचित बा अउरी का एसे पुष्ट कर्म नष्ट हो जाला?

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहल एक पोस्ट में कथावाचन पंडित मिश्र के हवाला देके कहल जा रहल बा कि अइसन कइले से पुण्यअउरी सत्कर्मन के नाश हो जाला। कहल जा रहल बा कि एकर प्रसंग भागवत कथा में बा।

ई महाभारत काल के बात ह जब कालयवन नाम के एक मायावी जरासंध के कहले पर श्रीकृष्‍ण के युद्ध के चुनौती दे देहलस। कालयवन एगो सत्कर्मी व्यक्ति रहल। कहल जाला कि श्रीकृष्‍ण एह मायावी के वध कइलें से पहिले एकर सब सत्कर्म ख़तम कइल चाहत रहलें। अइसन करे से खाली पाप कर्म ही शेष रह जाला। खाली पाप कर्म के बचल रहल से व्यक्ति जल्दिए मौत के करीब पहुंच जाला।

कहल जाला कि एहीलिए श्री कृष्ण मैदान छोड़के भागे लगने अउरी उनके पीछे पीछे पीछे कालयवन भी भागे लागल। एसे ओह मायावी के श्रीकृष्ण के पीठ दिखाई देत रहल अउरी ओकरे सत्कर्मन के नाश हो गइल अउर ऊ वरदान प्राप्त मुचकुंद ऋषि के देखले से ही जल के भस्म हो गइल।

हालांकि एह विषय पर अभिन भी शोध कईले के जरूरत बा काहेसेकि देवी देवता के परिक्रमा के प्रचलन प्राचीनकाल से ही रहल बा अउरी एह परिक्रमा के दौरान उनकर पीठ देखल स्वाभाविक प्रक्रिया ह। हालांकि दीवार के बीच मे अइले से कौनो देवी देवता के पीठ नाइ दिखाई देला लेकिन पीठ के प्रणाम कइल या ओकर पूजा कइल उचित नाइ मानल जाला।

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