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डीडीयू: स्त्री अध्ययन के समझे के सबसे पहिला कोसिस बेवहारिक जिनगी से करे के चाहीं: प्रो० शंभू गुप्त

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गोरखपुर: अब तक के ज्यादेतर साहित्य के अध्ययन पुरुष के दृष्टि से भइल बा। स्त्री अध्ययन में खाली साहित्ये ना बलुक साहित्येंतर अनुशासनन के समावेश कइल जाला। स्त्री अध्ययन के समझे के सबसे पहिला कोसिस बेवहारिक जिनगी से करे के चाहीं।

ई सब बात” साहित्य में जेंडर अध्ययन के आवश्यकता” विषय पs मुख्य वक्ता के रूप में बोलत महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के स्त्री अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो० शंभू गुप्त कहलें। ऊ सोमार के गोरखपुर विश्वविधालय के हिंदी आ पत्रकारिता विभाग में साहित्य संवाद श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में बोलत रहस। ऊ कहलें कि जेंडर विमर्श तलवार के धार हs। उ कब पुरुष विरोधी जो जाव एकर गुंजाइश हमेशा बनल रहेला। “व्यापक विजन आ दृष्टि से उचित मुल्यांकन हो सकेला।

एह क्रम में बोलते हजेंडर अध्ययन पs आईसीएमआर के कोलकाता के संस्था में अध्यापन के काम कs रहल डॉ० आशा सिंह कहली कि महिला अध्ययन के विषय निर्माण के प्रक्रिया में बा। अभी ले मात्र दु से चार गो विश्वविद्यालयन में स्त्री अध्ययन के कोर्स उपलब्ध बा। भोजपुरी क्षेत्र के महिला लोगन के अध्ययन के सिलसिला में बात करत ऊ कहली कि एह क्षेत्र में महिला लोगन के अध्ययन के प्रक्रिया धीरे-धीरे आइल बा। ऊ इहो कहली कि भारतीय साहित्य में महिला अध्ययन महिले लोगन के माध्यम से प्रवेश करेला।

एकरा पहिले अपना स्वागत वक्तव्य में हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो० दीपक प्रकाश त्यागी मंचासीन अतिथियन से सब केहू के परिचय करवलें।

कार्यक्रम के अध्यक्षता विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो० अनिल कुमार राय, मंच संचालन डॉ० राम नरेश राम आ धन्यवाद ज्ञापन प्रो० राजेश कुमार मल्ल कइलें।

कार्यक्रम के दौरान विभाग के शिक्षकन सहित हिंदी आ पत्रकारिता विभाग के छात्रन के उपस्थिति रहल।

520340cookie-checkडीडीयू: स्त्री अध्ययन के समझे के सबसे पहिला कोसिस बेवहारिक जिनगी से करे के चाहीं: प्रो० शंभू गुप्त

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