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ए ब्रांडेड दवाइयन के कीमत होइ 50% तक कम, आखिर का बा एकर वजह?

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जवना दवाई के पेटेंट खतम हो गईल बा ओकर दाम में 50% तक के गिरावट आ सकता, अवुरी एक साल बाद होलसेल प्राइस इंडेक्स में बदलाव के संगे एमआरपी में बदलाव होई।

जइसहीं देश में पेटेंट संरक्षण खतम हो जाई, पेटेंट दवाईयन के दाम आधा हो जाई भा पेटेंट बंद होखे के कगार पे चहुँप जाई जवना से मरीजन के बहुते राहत मिली। जवना दवाई के पेटेंट खतम हो गईल बा ओकर दाम 50% तक कम हो सकता, अवुरी एक साल बाद थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव के संगे एमआरपी में बदलाव होई। एकरा से आम जनता के बहुत राहत मिली। काहे कि सरकार दवाई के दाम नियंत्रण आदेश में संशोधन कइले बिया। पेटेंट संरक्षण खतम भइला के बाद दवाईयन के नया दाम तय कइल जाई।

दरअसल, आमतौर पे एक बेर जब कौनों दवाई के वैश्विक स्तर पे एकाधिकार खतम हो जाला तब जेनेरिक वर्जन सभ के प्रवेश के साथ एकर दाम 90% तक ले कम हो जाला। सरकार के एह फैसला से बहुराष्ट्रीय फार्मा मेजर पेटेंट से बाहर होखे वाली ब्लॉकबस्टर दवाईयन पे कतना दाम ले सकेली सँ एह बारे में स्पष्टता मिल गइल बा। पिछला कुछ साल से ई एगो कठिन मुद्दा रहल बा काहे कि बहुराष्ट्रीय कंपनी आ सरकार एकर समाधान ना कर पावत बिया।

दवाई के दाम कम हो जाई

पिछला कुछ साल में विल्डैग्लिप्टिन अवुरी सीताग्लिप्टिन समेत लोकप्रिय डायबिटीज रोधी दवाई अवुरी वाल्सर्टन सहित कार्डियक दवाई के दाम में एकाधिकार गंवा के गिर गईल बा। एकरा बाद राष्ट्रीय दवाई मूल्य निर्धारण प्राधिकरण दुनो दवाई के किफायती अवुरी पहुंच में सुधार खाती एकर सीमा मूल्य भी तय कईलस।

पेटेंट दवाई के विचार में अंतर के चलते अबे तक नीति के अंतिम रूप नईखे दिहल गईल। पहिले सरकार मूल्य प्रणाली बनावे खातिर कई गो समिति के गठन कइलस आ बातचीत आ संदर्भ मूल्य निर्धारण समेत कई तरह के तरीका पे चर्चा कइलस। विशेषज्ञ लोग इहो विचार रखले बा कि बातचीत के बाद भी पेटेंट दवाई के दाम बड़ आबादी खातिर जादा रही, जवना के खरीदे में उनुका खातीर मुश्किल हो जाई।

 

 

 

 

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