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Ram Navami Special: जानि राम नौमी मे माई के छठवाँ स्वरूप माई कात्यायनी के कहानी, आरती, मंत्र , रंग आ पूजा के विधि

आजु २७ मार्च के राम नौमी मे माई दुर्गाजी के छठवाँ रूप माई कात्यायनी के बारे मे| आई जानल जा-

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Ram Navami Special: जानि राम नौमी मे माई के छठवाँ स्वरूप माई कात्यायनी के कहानी, आरती, मंत्र , रंग आ पूजा के विधि

Ram Navami Special: खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा राम नौमी के नौ दिन के, नौ रूप के कहानी| आजु २७ मार्च के राम नौमी मे माई दुर्गाजी के छठवाँ रूप माई कात्यायनी के बारे मे| आई जानल जा-

दुर्गाजी के छठवाँ रूप माई कात्यायनी के नवरात्रि के छठवाँ दिन अर्चना आ पूजा कइल जाला। मानल जाला कि उनकर पूजा करे वाला के एह चार गो पुरुषार्थ चतुष्टय में धर्म, अर्थ, काम आ मोक्ष मिलेला। काहे कि उहाँ के जनम कात्या गोत्र के महर्षि कात्यायन के बेटी के रूप में भइल रहे, एही से उनकर नाम कात्यायनी पड़ल रहे।

देवी कात्यायनी के कहानी

किंवदंती के अनुसार एह देवी के जनम कात्या गोत्र के विश्वप्रसिद्ध ऋषि कात्यायन के घर में भइल रहे। महर्षि कात्यायन कई साल से माँ दुर्गा के कठिन पूजा करत रहले। उनकर कामना रहे कि माँ दुर्गा के जनम उनका घर में उनकर बेटी के रूप में होखे। उनकर तपस्या से प्रसन्न होके माँ दुर्गा उनका के आशीर्वाद दिहली आ उनकर प्रार्थना स्वीकार कइली। तब माई भगवती महर्षि कात्यायन के घर में देवी कात्यायनी के रूप में जन्म लेहली। ऋषि कात्यायन के बेटी होला के नाते उहाँ के कात्यायनी के नाम से जानल जाए लागल। देवी कात्यायनी कई राक्षस, असुर आ पापी के नाश कर चुकल बाड़ी। देवी कात्यायनी के पूजा करके आदमी के मन अग्नि चक्र में स्थित रहेला|

 

माँ कात्यायनी के पूजा विधि

नवरात्रि के छठवाँ दिन भक्तन के सूर्योदय से पहिले उठ के, नहा के साफ कपड़ा पहिन के माँ कात्यायनी के ध्यान करे के चाहीं आ व्रत करे के संकल्प लेबे के चाहीं| स्नान आदि के बाद चौकी पे माँ कात्यायनी के मूर्ति लगावल जाव। तब माई के गंडक के पानी से नहाए के चाही। एकरा बाद माई के रोली आ सिंदूर के तिलक लगा के सुहाग के सामग्री चड़ाए के चाही।एकरा बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ करत देवी कात्यायनी के पुष्प अर्पित क के मधु अर्पित करीं। अंत में घी के दीप आ धूप से माई के आरती क के प्रसाद बाँटी।

 

माई के स्वरूप

माई के रूप देखब त तेजस्वी माँ कात्यायनी शेर पे सवार बाड़ी। माथा पे मुकुट बा आ चार गो बाँहि बा। एक बांह में तलवार आ दूसरा बांह में कमल के फूल बा। माई कात्यायनी के एक हाथ वरदान देवे के मुद्रा में बा आ दूसरा हाथ ऊपर के ओर उठल बा।

मां कात्यायनी के आरती (Maa Katyayani Aarti)

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को भक्त पुकारे

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

 

माता कात्यायनी मंत्र 

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।

नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥

ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ॥

 

माँ कात्यायनी के ध्यान मंत्र (Maa Katyayani Mantra)

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।

वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

मां कात्यायनी कवच (Maa Katyayani Kavach)

कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥

कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

देवी कात्यायनी के शुभ रंग

देवी कात्यायनी के पूजा करत घरी पीला आ भूअर रंग के कपड़ा पहिरे के चाहीं| गोधूलि बेला में देवी के पीला फूल आ बेर के पेड़ के फूल भी चढ़ावल जा सकेला।

 

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