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तलाक के अब 6 महीना के इंतजार खतम: अगर सुलह के कवनो नईखे गुंजाइश त सुप्रीम कोर्ट से मिल जाई तलाक, जानि का बा शर्त

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तलाक के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश , संजीव खन्ना, ए. एस ओका, विक्रम नाथ और जे. के महेश्वरी के संवैधानिक बेंच एगो बड़ फैसला देले बिया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसला –

•अगर पति-पत्नी के संबंध एतना खराब हो गईल बा कि सुलह के कवनो गुंजाइश नईखे त अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तलाक के मंजूरी दे सकता।

•एकरा खातिर ना त परिवार कोर्ट जाए के पड़ी, ना तलाक लेवे खातीर 6 महीना इंतजार करे के पड़ी।

•इ फैसला 2014 में दायर भईल शिल्पा सैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन केस में आईल बा, जवन कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत तलाक के मांग कईले रहले।

•आज जरूरत के खबर में हमनी के पता चल जाई कि आपसी सहमति से तलाक लेवे के प्रक्रिया का होखेला आ एकरा खातीर कवन दस्तावेज के जरूरत बा आ कहाँ जाए के बा?

एक्सपर्ट पैनल

•सुप्रीम कोर्ट आ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एडवोकेट सचिन नायक

•अशोक पाण्डेय, एडवोकेट, मध्य प्रदेश अउर बम्बई हाईकोर्ट

•नवनीत कुमार मिश्रा, अधिवक्ता, लखनऊ हाईकोर्ट

सवाल : तलाक के कवन प्रावधान बा?
उत्तर : हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के धारा 13 बी में आपसी सहमति से तलाक के प्रावधान बा।

धारा 13ख(1) में कहल गईल बा कि पति-पत्नी जिला अदालत में तलाक खातीर आवेदन क सकतारे।

एकरा के एह बात पे आधारित होखे के चाहीं कि दुनु जने एक साल आ ओकरा से अधिका के अवधि से अलग अलग रहत बाड़े, आ दुनु के एक संगे रहला के संभव नइखे, आ दुनु जने आपसी सहमति से अलगा होखे के फैसला कइले बाड़े।

अदालत तलाक के मंजूरी देवे से पहिले ए सभ चीज़ पे नजर राखेला

•हिन्दू विवाह अधिनियम के धारा 13बी(2) में कहल गईल बा कि तलाक के आवेदन दाखिल करे के तारीख से दुनो पक्ष के 6 से 18 महीना के बीच इंतजार करे के होई।

•एह समय के कूलिंग पीरियड कहल जाला। जदी तलाक के फैसला जल्दबाजी में नईखे होखत त इ समय बा कि एकरा पे विचार कईल जाए। एह दौरान दुनु जने तलाक के आवेदन वापस ले सकेलें।

•अगर अयीसन ना भईल त निर्धारित इंतजार के अवधि बीतला के बाद आ दुनो पक्ष के सुनवाई के बाद, जदी अदालत के लागता त उ तलाक के जांच क के मंजूरी दे सकता।

सवाल : बियाह के कतना दिन बाद तलाक के आवेदन कर सकेनी?
जवाब : कानून के नजरिया से बियाह कवनो मजाक ना ह। जवना में 1 या 2 महीना एक संगे रहला के बाद तलाक हो जाला। एहमें दू परिवार के जज्बा शामिल बा। बियाह के 1 साल बाद ही आप तलाक के आवेदन क सकतानी।

सवाल : शिल्पा सैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन केस सामान्य तलाक के मामला से केतना अलग रहे?
जवाब : एह मामला में पति-पत्नी दुनो बियाह के बाद मात्र 4 साल तक एक संगे रहले। दुनो लोग 2014 में आपसी सहमति से तलाक देवे के फैसला कईले रहले। तब से कोर्ट में इ मामला चलत रहे।

सुनवाई के दौरान दुनो लोग एक दूसरा पे आरोप लगावत रहले। एह तरह से दुनो पक्ष के संगे क्रूरता होखत रहे।

अइसना में 142 के इस्तेमाल करत कोर्ट के 5 जज के पीठ तलाक के मंजूरी देवे के आपन फैसला दे देलस।

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के अध्यक्षता वाला पीठ कहलस कि, जदी बियाह में सुलह के गुंजाइश नईखे रह गईल त कोर्ट ओकरा के भंग क सकता। एहसे मौलिक सिद्धांत के उल्लंघन ना होई।

सवाल : शिल्पा सैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन केस में अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट आपन फैसला दे दिहलस, इ का ह?
उत्तर : सरल शब्दन में कहल जाव त संविधान के अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट खातिर एगो विशेष अधिकार ह, जवना के तहत न्यायालय कवनो न्यायिक मामला में जरूरी निर्देश दे सकेले।

जबले दोसर कवनो कानून ना बन जाई तबले सुप्रीम कोर्ट के आदेश सर्वोपरि रही।

एह तरह से कोर्ट अइसन फैसला दे सकेले जवन कवनो लंबित मामिला पूरा करे खातिर जरूरी होखे।

अदालत के आदेश तब तक लागू रही जब तक कि ओकरा से जुड़ल प्रावधान लागू ना हो जाई।

सवाल : ठीक बा, त आपसी सहमति के अलावा भी तलाक होला?
जवाब : हँ, तलाक दू तरह के होला।

•विवादित तलाक के मतलब होला बिना आपसी सहमति के तलाक। 

•आपसी सहमति से तलाक होखल। 

बिना आपसी सहमति के विवादित तलाक : ई तलाक अक्सर विवादित मामिला में देखल जाला। विवादित तलाक के मामला में पति-पत्नी एक दूसरा के कवनो कारण ना देले बिना तलाक के मांग नईखन क सकत।
पटियाला हाउस कोर्ट के अधिवक्ता सीमा जोशी के कहनाम बा कि हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के धारा 13 में विवादित तलाक के आधार साफ-साफ बतावल गईल बा। जवन कि अईसन बा…

व्यभिचार : इ एगो अपराध ह। पति-पत्नी में से कवनो एक के बियाह से बाहर केहु से शारीरिक संबंध होखे।

घरेलू हिंसा : ई क्रूरता के तहत आवेला। एकरा के इरादा से कइल गइल काम के रूप में परिभाषित कइल गइल बा। जवना में शरीर के कवनो खास अंग, जीवन भा मानसिक स्वास्थ्य खातिर खतरा हो सकेला. एह में दर्द पैदा कइल, गारी दिहल, मानसिक भा शारीरिक रूप से यातना दिहल शामिल हो सकेला|

धर्म परिवर्तन : हिन्दू बियाह में अगर कवनो पति आ पत्नी बिना दोसरा के जानकारी आ सहमति के दोसरा धर्म में आ जाव त ओकरा के तलाक के आधार मानल जा सकेला।

मानसिक बिकार : मानसिक बिकार में मन के अइसन स्थिति, मानसिक बेमारी आ समस्या सामिल होला, जेकरा चलते आदमी असामान्य रूप से आक्रामक होखे।

कोढ़ : कोढ़ एगो संक्रामक बेमारी ह जवन त्वचा आ नस के नुकसान पहुंचावेला।

यौन रोग : अगर कवनो साथी के एचआईवी, एसटीडी जईसन यौन संचारित बेमारी बा त दूसरा साथी तलाक ले सकता।

संन्यास : हिन्दू कानून के तहत दुनिया के त्याग तलाक के आधार ह। अगर पति आ पत्नी में से केहू संन्यास लेले बा त तलाक हो सकेला।

परित्याग : अगर पति-पत्नी में से कवनो भी घरेलू जीवन के त्याग क देले होखे। माने कि जदी उ चल गईल बाड़े आ 7 साल तक उनुकर कवनो खबर नईखे त ओकरा के मरल मानल जाई। अइसना में तलाक के याचिका दायर कइल जा सकेला।

अब आपसी सहमति से तलाक के बात कईल जाए।

सवाल : आपसी सहमति से तलाक के का मतलब होला?
जवाब : बियाह के बाद जब पति-पत्नी अपना मर्जी से एक दूसरा से अलग होखे के फैसला करेले आ तलाक के अर्जी दाखिल करेले त ए स्थिति के आपसी सहमति से तलाक कहल जाला।

•हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के धारा 13 बी में आपसी सहमति से तलाक के प्रक्रिया के जिक्र बा।

•संगही संबंधित अधिनियम के मुताबिक पति-पत्नी के अलग-अलग 1 चाहे 2 साल तक रहे के प्रावधान बा।

•एकर मकसद इ साबित कईल बा कि जोड़ा अलग-अलग रह सकतारे।

•कोर्ट के फैसला के मुताबिक आपसी सहमति से तलाक के अवधि 6 महीना से 18 महीना तक होखेला।

•तलाक से पहिले कम से कम 1 साल तक जोड़ा के पति-पत्नी के रूप में एक संगे ना रहे के पड़ी।

•आपसी सहमति से तलाक में जोड़ा आपसी सहमति से संपत्ति के बंटवारा आ बच्चा के कस्टडी पे होखेला।

आपसी सहमति से तलाक देवे के दौरान जोड़ा के इ 3 बात के ध्यान में राखे के चाही
•भरण पोषण आ रखरखाव के काम होला
•लइकन के कस्टडी (अगर कवनो होखे)
•संपत्ति के बंटवारा

सवाल : आपसी सहमति से तलाक लेवे के प्रक्रिया का बा?
जवाब : पति-पत्नी दुनो मिल के याचिका दायर करेले। पूरा सत्यापन होला। एकरा बाद रउरा के याचिका दाखिल करे के तारीख से 6 महीना बाद के तारीख दिहल जाला। अब 6 महीना बाद तय हो जाला कि तलाक दिहल जाई कि ना।

सवाल : वर्तमान मामला में कोर्ट 6 महीना के समय काहें हटा देले बिया, एकरा पीछे का कारण बा?
जवाब : इ फैसला एहसे लिहल गईल बा कि 6 महीना के समय में आपसी सहमति से तलाक लेवे के चाहत पति-पत्नी के मन ए समय अंतराल के बीच भ्रमित हो जाला। कई तरह के विवाद पैदा होखे लागेला। जवना के चलते मामला कोर्ट में लंबित बा।

सवाल : एकर मतलब बा कि जल्दी से जल्दी तलाक लेबे खातिर निचला अदालत भा परिवार अदालत में जाए के जरूरत ना पड़ी, अब सीधे सुप्रीम कोर्ट में जाए के पड़ी?
जवाब – ना, अइसन कुछुओ नइखे। धारा 13बी के तहत सुप्रीम कोर्ट में तलाक के याचिका तबे दाखिल क सकेनी जब कुछ खास शर्त होखे। एकरा में भी पहिले निचला अदालत में मामला के चर्चा होई। ओकरा बाद हाईकोर्ट में आ ओकरा बाद सुप्रीम कोर्ट में आ जाई।

इ सब विशेष शर्त होई-

•जब दुनु पक्ष आपसी सहमति से तलाक ले रहल होखे आ जल्दी से फैसला करे के पड़ेला।

• जब तलाक के बाद जरूरी काम खातिर बहुत देर तक देश से बाहर जाए के पड़ेला।

• अगर तलाक में देरी होखता आ दूसरा बियाह के तारीख नजदीक आ गईल बा त आप सीधा सुप्रीम कोर्ट में जा सकतानी।

• कवनो आपातकालीन स्थिति जवना में रउरा ढेर दिन ले मौजूद ना हो सकीं ले।

प्रक्रिया के बारे में जानल जाला

अगर याचिकाकर्ता के लागत बा कि 6 महीना बहुते समय बा त ओकरा 7 दिन के समय मिल जाला। एकरा बाद 8वां दिन रउआ धारा 13बी(2) के तहत तत्काल सुनवाई खातिर आवेदन क सकेनी आ 6 महीना के समय कम क सकतानी। ओकरा बाद कोर्ट सभ मुद्दा के ध्यान में राखत फैसला सुनावेले।

सवाल : फैसला में कहल गईल रहे कि पति-पत्नी के बीच बराबरी कईसे होई एकर फैसला खुद कोर्ट भी करी, एकर मतलब का बा?
जवाब : कोर्ट पति के कमाई आ उनुका जीवन स्तर के आधार पे फैसला करी, पत्नी के केतना भरण-पोषण देवे के चाही।

• एकर एकमात्र सिद्धांत बा कि पत्नी के जीवनशैली पति के जीवनशैली के बराबर होखे के चाही।

तलाक के समय अदालत कवना आधार पे पत्नी के पति के बराबरी के फैसला करेले, एकरा के जान लीं-

•पति पर कवनो ईएमआई होखे आ लोन बा की ना।

•माई-बाप ओकरा पर निर्भर बा कि ना।

•ओह आदमी के मेडिकल खर्चा माई-बाप पर केतना बा।

•पति के घर के स्तर का बा, खाना कईसन बा।

सवाल : तलाक के मामला में कोर्ट कब सुलह ना करेला?
जवाब : एह सवाल के जवाब नीचे दिहल क्रिएटिव में पढ़ीं…

एह 4 स्थिति में तलाक के मामला में अदालत सुलह के अनुमति नईखे देत।

•जब पति-पत्नी दुनु एक संगे रहे से मना कर देनी।
• जब पति आ पत्नी में से केहू एक संगे रहे से मना कर देवे।
• जब साबित हो जाला कि पत्नी के झूठ बोलतिया |
•लेकिन पति अवुरी ओकरा परिवार के जेल भेजे खातीर
कोशिश कइले बानी।
• मानसिक यातना के चलते दुनो में से कवनो एक दूसरा के संगे ना रहे के चाहत बा।

सवाल : हम तलाक के याचिका कहां दाखिल कर सकेनी?
जबाब:पति-पत्नी अपना शहर के फैमिली कोर्ट में तलाक के याचिका दायर क सकेले।

•अगर रउरा अलग शहर में बानी त अपना वैवाहिक शहर के अदालत में याचिका दायर करीं।

•जवना शहर में पत्नी के घर बा ओहिजा भी याचिका दायर कईल जा सकेला।

534430cookie-checkतलाक के अब 6 महीना के इंतजार खतम: अगर सुलह के कवनो नईखे गुंजाइश त सुप्रीम कोर्ट से मिल जाई तलाक, जानि का बा शर्त

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