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दिशा छात्र संगठन के ओर से मुक्तिबोध जयंती पर कइल गइल ‘नौजवान का रास्ता’ के पाठ

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दिशा छात्र संगठन के ओर से गोरखपुर विश्वविद्यालय के सोझे पन्त पार्क में मुक्तिबोध के जन्मदिवस (13 नवंबर) पर उनकर प्रसिद्ध लेख ‘नौजवान का रास्ता’ के पाठ कइल गइल अउर उनके कई पहलू पर बातचीत कइल गइल।

ई लेख मुक्तिबोध नौजवान लोग के केंद्रित करत लिखले बानें जेमें ऊ साफ करेने कि नौजवान अगर गलत रास्ता पर गइले, नशा कइले चाहे गैरजिम्मेदार हो जातने त ई एह पूरे सामाजिक व्यवस्था के दिक्कत ह, अउर एह दिक्कत से भी व्यक्तिगत तौर पर नाइ, सामाजिक तौर पर ही निपटावल जा सकsता।

मुक्तिबोध लिखेने कि “नौजवानन के दिलो-दिमाग के ताकत के बिजुली में रूपांतरित करत, देश निर्माण अउर मानव- निर्माण में लगावे खातिर, जौन बिजली घर के जरूरत होला, उ हिंदुस्तान में नदारद बा।”

मुक्तिबोध के विरासत पर बात करे के बतावल गइल कि मुक्तिबोध के जनम (13 नवम्बर 1917) ओह समय भइल जब हमनीके देश में ब्रिटिश उपनिवेशवादी लोग के खिलाफ राष्ट्रीय आन्दोलन एगो नयका पड़ाव पs रहल। मुक्तिबोध न केवल एह दौर के देखल गइल वरन ब्रिटिश उपनिवेशवादियन के जगह देशी हुक्मरानन शोषण के जुआ के नीचे मेहनतकश जनता के पिसते देखल।

मुक्तिबोध एगो वर्ग के सचेत लेख़क-कवि हवें एहलिए भावना के दबाव में तार्किकता के कमान नाइ छूटत रहे। मुक्तिबोध आपन ज़माना के समस्या के मुकाबला करsला। अगुवा के जगह लेहले खातिर अपने से लड़त रहनें। एहलिए उनकर कविता में उनकर आत्मसंघर्ष दिखाई पड़sला।

आजु वर्तमान समय में ज़माना के हवा बहुत उलटा बह रहल बा।लेखक-साहित्यकार पूँजी के गलियारा में पद-पुरस्कार खातिर खींस निपोरले घूम रहल बानें। अइसे दौर में अपना के अंतिम दिन ले मेहनतकश अवाम के ज़रूरत पर खरा उतरले खातिर खुद से लड़त रहे वाले, भावना अउर तर्क में सही सामंजस्य बइठावे वाले मुक्तिबोध के विरासत के बहुत ज़रुरत बा।

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