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दिशा छात्र संगठन आयोजित कइलस ज्योतिबा फुले के स्मृति दिवस पर बतकही

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दिशा छात्र संगठन के ओर से महान जाति विरोधी योद्धा ज्योतिबा फुले के स्मृति दिवस (28 नवम्बर) पर गोरखपुुर विश्वविद्यालय के सोझे पन्त पार्क में उनके जीवन, संघर्ष अउर आज के समय में उनके विचारन के प्रासंगिकता पर बातचीत कइल गइल।

ज्योतिबाराव आज से डेढ़ शताब्दी पहिले ब्राह्मणवादी ताकतन से वैर मोल लेकर पुणे के भिडे वाडा में लड़कियन खातिर पहिला स्कूल खोलले रहनें। जब लड़कियन के पढ़ावे खातिर अध्यापिका नाइ मिलली त ज्योतिबा फुले सावित्रीबाई फुले के पढ़ा के एह योग्य बना दिहनें कि ऊ खुद पढ़ा सकें। ई घटना के एगो क्रान्तिकारी महत्व ह। पीढ़ी दर पीढ़ी दलित पर अनेक प्रतिबन्ध के सथही “शिक्षाबन्दी” के प्रतिबन्धो दलितन स्त्रियन के बहुत नुकसान कइल।

ज्योतिबा अउर सावित्रीबाई एही कारण वंचितन के शिक्षा खातिर गम्भीर प्रयास शुरू कइलें। एह संघर्ष के दौरान ओ पर पत्थर, गोबर अउर मिट्टी तक फेंकल गइल अउर उनके माता-पिता पs दबाव बना के उनके घर से निकलवा दिहल गइल लेकिन ऊ शिक्षा के ई महत्वपूर्ण काम बिना रुकले कइलें अउर जल्दिए एक के बाद एक तीन स्कूल खोल डरले। एह काम में इनकर साथ दिहली फ़ातिमा शेख।

ज्योतिबा फुले सत्यशोधक समाज के स्थापना कइले रहनें। ऊ बाल विवाह के विरोधी अउर विधवा विवाह के प्रबल समर्थक रहनें। 28 नवम्बर 1890 ज्योतिबा फुले के मृत्यु हो गइल।

ज्योतिबा अउर सावित्रीबाई के समय में ज्यादातर ग़रीब, शिक्षा से वंचित रहल अउर दलित ओसे अतिवंचित। 1991 के निजीकरण अउर उदारीकरण के नीतियन के बाद त ओके पूरा तरह बाजार में ला के छोड़ दिहल गइल बा। हालही में पेश कइल गइल ‘नयी शिक्षा नीति-2020’ एह मामले में अब ले के सब काला-कानूनन से चार क़दम आगे बा।

 

सरकारी स्कूलन के दुर्वस्था अउर निजी स्कूलन अउर विश्वविद्यालयन के मनमाने नियमन अउर आर्थिक शोषण के कारण पहिलही दूर रहल शिक्षा सामान्य गरीबन के क्षमता से बाहर चल गइल बा। आजु एक आम इंसान अपने बचवा के डॉक्टर चाहे इंजीनियर बनावे के बारे में सपनो में भी नइखे सोच सकsता। मौजूदा समय में एक बेर फिर से गरीबन अउर विशेषकर दलितन अउर अन्य वंचित तबका से आवे वालन पर नयका शिक्षाबन्दी लागू हो गइल।

आजु ज्योतिबा फुले के याद करत हम के ई विचार करे के होई कि उनकर शुरू कइल संघर्ष के आजु का भइल? नयका शिक्षाबन्दी के तूड़े खातिर सब गरीबन-मेहनतकशन के एकजुटता के आह्वान कsके सबके खातिर नि:शुल्क शिक्षा के संघर्ष हमके आगे बढ़ावे के होई।

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