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‘भोजपुरी संगम’ के 162 वीं ‘बइठकी’ सम्पन्न

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गोरखपुर: ‘भोजपुरी संगम’ के 162 वीं ‘बइठकी’ स्व.सत्तन जी के आवास पs, खरैया पोखरा, बशारतपुर, गोरखपुर में इं.राजेश्वर सिंह के अध्यक्षता आ चन्देश्वर ‘परवाना’ के संचालन में दु सत्रन में संपन्न भइल। जवना के मुख्य अतिथि सत्य प्रकाश शुक्ल जी रहलें।

कार्यक्रम के पहिला सत्र में चयनित कहानीकार अरविंद ‘अकेला’ के कहानी ‘कहाँ चूक हो गइल’ के वाचन अवधेश शर्मा ‘नंद’ कइलें। एह पs समीक्षा करत शशि विन्दु नारायण मिश्र एकरा के एगो मध्यमवर्गीय परिवार के वास्तविक कहानी बतवलें, इहो कहलें कि कहानी के हिन्दी के जगे भोजपुरी के मौलिक शब्दन के साथ प्रयोग कs के आउर बेहतर बनावल जा सकत रहे।

दूसरका समीक्षक अवधेश ‘नंद’ एकरा के भोजपुरी के गोरू-बछरू, बाग-बगइचा, हरज-गरज जइसे युगल शब्दन से भरल रुचिकर कहानी बतवलें। जवना के कथानक में कवनो मुख्य पात्र के कमी खटकत बा।

 

डाॅ.फूलचंद प्रसाद गुप्त एकरा के भोजपुरी के मौलिक कहानी बतावत तमाम दुर्लभ विलुप्त हो रहल भोजपुरी के रेघारी, अकनत, उद्बेग जइसन शब्दन के प्रयोग खातिर कहानीकार के बधाई देलें।

सत्य प्रकाश शुक्ल ‘बाबा’ शीर्षक के बेहतर बाकिर कथ्य के कमजोर बतवलें। इं.राजेश्वर सिंह अच्छा कहानी खातिर लेखक के साधुवाद देलें।

बइठकी के दूसरका सत्र ‘कवितई’ में रचनाकार आपन प्रतिनिधि रचनन के पाठ कs के रचनात्मक वातावरण सृजित कइल लो।

नर्वदेश्वर सिंह के वाणी वंदना से सत्र के सुरुआत भइल। 

कुमार अभिनीत संस्थापक सदस्य स्व.सत्तन जी के रचना के सस्वर पाठ कइलें –

दियना जगमग करे उजियारी,

राम लखन सिय हरसै निहारी।

डॉ.फूलचंद प्रसाद गुप्त के असरदार दोहा बइठकी के अलग दिशा देलस

पाटि-पाटि के पाट के, चौंड़ा कइलस पाट।

राहि छेका के देखि लऽ, बिछा के बइठल खाट।।

चन्देश्वर ‘परवाना’ के मारक आ संदेशपरक दोहा खूब सराहल गइल –

सहरे घर बनवाइ के, बइठि अगोरऽ रोज।

रिस्ता नाता खतम सब, छुट्टी नेवता भोज।।

राम समुझ ‘साँवरा’ के प्रस्तुति देशप्रेम के भाव जगवलस-

देसवा हमार भारत जान से हमके प्यारा बा,

दिल के दुलारा बा ना।

अवधेश शर्मा ‘नंद’ के निर्गुन माहौल के गम्भीर कs देलस-

पंछी उड़ि के सब सुख पावत,

जीयत में दुःख दूना, ऊ बूझे जिनगी बिन बूना।

सत्य प्रकाश शुक्ल ‘बाबा’ के सुरमयी प्रस्तुति सबकर मन मोह लेलस- 

चुवे गरमी में गर-गर पसीना,

नगीना तनी फरके रहीं,

का कहीं हम कुछ लागे कहीं ना,

नगीना तनी फरके रहीं।

राम सुधार सिंह ‘सैंथवार’ ने देशभक्ति पs केंद्रित सामयिक गीत के सुंदर प्रस्तुति देलस- 

माई कहले रहलि बेटा, देस पावे न तुहसे धोखा,

हाथ गोड़ चाहे देहियाँ चढ़ावे के पड़े।

एह लोगन के अलावे निर्मल कुमार गुप्त ‘निर्मल’, नील कमल गुप्त ‘विक्षिप्त’, शशि विन्दु नारायण मिश्र, नर्वदेश्वर सिंह अपना रचना पाठ से ‘बइठकी’ के समृद्ध कइलें।

आउर सुधी जनन में रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, अमित कुमार, डॉ.विनीत, कार्तिक मिश्र, कुशाग्र आदि लोगन के मवजूदगी महत्वपूर्ण रहल।

अंत में संयोजक कुमार अभिनीत अगिला माह होखे वाला बइठकी के रूपरेखा बतवलें आ इं.राजेश्वर सिंह सब लोगन के प्रति आभार प्रकट कइलें।

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