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भोजपुरी नवजागरण के अग्रदूत भिखारी ठाकुर -डॉ. जौहर शफियाबादी

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कवनो साहित्य-संस्कृति में आस्था तत्व के मूल्यांकन आ अनुभूतिपरक, स्वपीड़ा के चित्रण साहित्य के पहिला प्रमाणिक उत्कृष्ट स्वरूप होला,जवना में समय आ स्थिति के दशा-दिशा मुखर होला आ साहित्य के इहे पहलू समाज के दर्पण बन जाला।

भिखारी ठाकुर लोक चेतना-चिंतन के एही धार में बहत अपना पाठक-दर्शक के बहावे-जगावे में पुरा-पुरी सफल बारन, काहेकि ऊ सामाजिक कथ्य के आस्था रूप में अपना के भोजपुरी संस्कृति ,परंपरा के साध के आगे बढ़ावे-जगावे के कला अपना साहित्य में परोसले बारन आ इहे उनकर मुख्य सुधारवादी केन्द्र बन गइल बा, जवना का चलते उनका साहित्य में भोजपुरी भाषा-भाषी लोगन के सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना के स्वाभाविक स्वरूप भरपूर उभरल बा , जवन उनका एगो लमहर क्रांतिकारी साफ-सुथरा दृष्टिकोण के परिचायक बन गइल बा । इहे भिखारी साहित्य के महान धरोहर आ उत्कृष्ट रचनाधर्मिता के कलात्मक प्रमाण देता।

वाचिक परंपरा के महानायक संत कबीर का राह पर चलत भिखारी ठाकुर आपन बात लोगन तक पहुँचावे में नाटकन का माध्यम से सफल बारन आ इहो बात नइखे की ऊ कबीर का तरह साफ-साफ कवनो बात ओसा के चाहे खुल के कहस चाहे कडुआ हो जास । बड़ा संयम आ बचा-बचा के आपन बात मोलायम बना के बड़ा ताम-झाम से परोसले बारन । एकर एगो आउर कारण रहे कि उनका त सुधार आ नया सोंच-समुझ के जगावे के रहे। एह से बच-बचा के आपन एगो नया राह बना लेलन,

काहेकि उनका के आगे बढ़ावे आ ऊंचा उठावे के उहे लोग काम करत रहे जेकरा गलत विचार धारा के विरोध में उनकर लड़ाई रहे। उनका रचनन में सामाजिक क्रांति के शंखनाद मुखर बा।
अगुआ के पूत मरे,
बभना के पोथी जरे।
(बेटी बियोग)
बिदेसिया, भाई विरोध, कलयुग प्रेम, गबरघिचोर, बेटी वियोग, विधवा विलाप, गंगा स्नान आदि सब रचनन में पावल जाला।

नारी विमर्श पर भोजपुरिया समाज में बुढ़शाला के साथ बौद्धिक ऊर्जा के चुनौती-चैलेंज गम्भीर विद्वतापूर्ण चिंतन के साथ सुक्ष्म रूप-स्वरूप भिखारी रचनावली में परोसल बा,जवन निश्चित रूप से साथ-संगत के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के परिचायक बा आ इहो अभाज्य-अकाट्य सांच सिद्ध बा कि भिखारी ठाकुर के मित्र मंडली में उनका समकालीन साहित्यकारन के आशीर्वाद प्राप्त रहे, जवना में मुख्य रूप से भोजपुरी के रसखान महान क्रांतिकारी पंडित महेन्दर मिसिर जी के उनका भरपूर आशीर्वाद प्राप्त रहे ,जवना सांच के भिखारी ठाकुर पर लिखे वाला कुछ भरबितन दलाल , जोगारी लोग जातिगत आ राजनैतिक कारण के खेल खेलत सोगहग सांच छुपावे के बहुत सफाई से कुकृत्य कइले बा लोग। भिखारी ठाकुर समरस जनकल्याणकारी विचारधारा के संवाहक रहलन आ उनका के शिखर पर पहुंचावे वाला स्वर्णें लोग रहे। सब लोग उनका के एगो कलाकार साहित्यकार का दृष्टि से देखत रहे ।काल्हो उनका के सभे आदर देत रहे आ आजो भोजपुरी के धरोहर का रूप में सम्मानित करत नाम लेता काहे कि उनका में कवनो जातिगत बैमनस्य ना रहे आ ना केहू उनका के कबो हीन नजर से देखल। तबो आज- काल्ह उनका के दलित “बैकवर्ड ब्रांड” बना के भंजावल जा रहल बा। ई दुखद बा अपना लाभ खातिर सूरूज पर जातिगत लेबूल साटल कहीं से उचित नइखे।

डॉ. जौहर शफियाबादी

पूर्व सिनेटर- जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली।

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