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भारतरत्न राजेन्द्र प्रसाद जयंती: देश में सबसे लमहर समय ले राष्ट्रपति रहनें ‘राजेंद्र बाबू’

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आधुनिक भारत के इतिहास में देश में बहुत सारा नेता भइल बानें जे देश पर आजादी के पहिले अउर आजादी के बादो प्रभाव डरलें। जहां महात्मा गांधी जइसन व्यक्तित्व अजुओ प्रभावी बा जे समयातीत हो चुकल बानें। लेकिन उनके अलावा पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल जइसन कई नेता अइसन रहनें जे आजादी से पहिले अउर उसके बाद दूनों समय में प्रभावी बनल रहनें। एह सूची में एक प्रमुख नाम बा डॉ राजेंद्र प्रसाद के, देश में सबसे लमहर समय, 12 साल ले देश के राष्ट्रपति बनले अउर उनकर ई रिकॉर्ड अभिन ले नइखे टूटल।

बचपने से पढ़ाई पs दिहले रहनें धेयान

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के जनम 3 दिसंबर 1884 के बिहार के सिवान के जीरादेई गाँव में कायस्थ परिवार में भइल रहे जवन तब बंगाल प्रेसिडेंसी में रहनें। बचपने से उ हमेशा एगो तेजस्वी छात्र रहनें। उनकर शुरुआती पढ़ाई छपरा में भइल, फेर पटना में। कॉलेज के पढ़ाई कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में भइल, जेकरा बाद 1915 में कानून में स्नातकोत्तर डिग्री पास कइला के बाद खुद कानून के विषय में डॉक्टरेट के डिग्री लेहले के बाद उनुका के डॉ. राजेंद्र प्रसाद कहल गइल।

हमेशा टॉप पs रहनें राजेन्द्र प्रसाद

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में राजेन्द्र बाबू के नाम से लोकप्रिय डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ओतना ना लउकल लेकिन आजादी के बादे आम जनता के उनकर प्रतिभा के जानकारी तब मिलल जब ऊ संविधान सभा के निर्माता लोग के नेता बनले। यानी विधानसभा के अध्यक्ष बनलें। बचपने से पढ़ाई, कानून के डॉक्टरेट, कानून के पेशे में टॉपर रहलें।

कब्बो नाइ छोड़लें आपन सादगी

राजेन्द्र बाबू हमेशा देश के सेवा में लागल रहलें आ लागत बा कि प्रचार से अपना के दूर राखे में भी सफल रहलें। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान उ देश में अकाल आ बाढ़ पीड़ित के सेवा में अपना के झोंक देहलें, एहसे देश के पहिला राष्ट्रपति बनला के बादो उनका सादगी के सबके ओर से बहुत सम्मान अउरी दुलार मिलत रहल। उनके राष्ट्रपति बनले से ऊ लोग हैरान हो गइल जे उनका के ना जानत रहे।

पदभार ग्रहण के समय बहिन के निधन

26 जनवरी के जब आजादी के ढाई साल बाद देश में संविधान लागू भईल त उनका राष्ट्रपति बने के औपचारिकता पूरा करे के पड़ल, लेकिन एकरा से एक दिन पहिले यानी 25 जनवरी के रात में उन के बहिन भगवती देवी मर गइली। उ उनके अंतिम संस्कार के इंतजाम कइलें, लेकिन तब जब उ परेड ग्राउंड से लवट पवले।

देश के सफल प्रतिनिधित्व के काम कइलें

भारत के राष्ट्रपति के रूप में उ संविधान के मानदंड के बहुत बढ़िया से पालन कइनें अउर राजनीतिक रूप से उ पूरा तरीका से तटस्थ रहनें। देश से बहरा भारत के प्रतिनिधित्व करत घरी उ सबके प्रभावित कइलें। 1952 के बाद 1957 में दोबारा राष्ट्रपति चुनल गइलें आ अजुओ ऊ अकेल्ले राष्ट्रपति रहलें जे दू बेर चुनल गइल बानें।

राजेन्द्र बाबू साहित्यकारो रहनें

राष्ट्रपति भवन के मशहूर मुगल गार्डन उनका कार्यकाल में पहिला बेर जनता खातिर खुलल जवन तब से देश के सब जनता के आकर्षण के केंद्र बनल बा। राजेन्द्र बाबू जी के आत्मकथा के अलावा कई गो किताबो लिखले बानें, जवना में बापू के कदम, भारत विभाजित, चंपारण में सत्याग्रह, गांधीजी के दान, भारतीय संस्कृति आ खादी के अर्थशास्त्र आदि उल्लेखनीय बा।

हिन्दू संहिता विधेयक पs विवाद भइला प अउर सक्रियता देखवले पs राष्ट्रपति के रूप में एक बेर फेर उनकर परीक्षा भइल रहे। 1962 में रिटायरमेंट के एलान कइलन आ राष्ट्रपति भवन छोड़ले के बाद पटना के बिहार विद्यापीठ चल गइलें। एकरा बाद 28 फरवरी 1963 के 78 बरिस के उमिर में इनकर निधन हो गइल। बाबू राजेन्द्र प्रसाद के भारत रत्न से सम्मानित कइल गइल।

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