बाहुबली आनंद मोहन के परेशानी बढ़ सकेला, काल सुप्रीम कोर्ट में रिहाई का खिलाफ सुनवाई
अब बाहुबली आनंद मोहन के रिहाई पs तलवार लटकल बा, काहे कि अब सुप्रीम कोर्ट में काल एह मामिला के सुनवाई होखे वाला बा । बता दीं कि गोपालगंज जिला के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी. एह हत्या के मामला में लोकसभा सदस्य रहल आनंद मोहन उम्रकैद के सजा काटत रहले, बाकी कुछ महीना पहिले बिहार सरकार जेल मैनुअल में बदलाव कईलस आ ए आधार पs उनुका के रिहा क दिहल गईल। अब सुप्रीम कोर्ट सोमार का दिने अमंद मोहन के रिहाई के चुनौती देबे वाला याचिका पs सुनवाई करे जा रहल बा
जेल के नियम में बदलाव के बाद रिहा
जस्टिस सूर्य कांट आ जस्टिस के.वी. विश्वनाथन के पीठ पर दिवंगत अधिकारी के पत्नी उमा कृष्णइया के याचिका के सुनवाई होई। आनंद मोहन के 14 साल से अधिका जेल में रहला का बाद पिछला साल अप्रैल में बिहार के सहरसा जेल से रिहा हो गइलs रहले । एकरा से पहिले राज्य सरकार बिहार जेल नियम में संशोधन क के ड्यूटी प मौजूद जनसेवक के हत्या में शामिल लोग के समय से पहिले रिहाई प लगावल रोक हटा देले रहे। आलोचकन के दावा बा कि सरकार बिहार जेल नियम में संशोधन क के राजपूत समुदाय के रहे वाला आनंद मोहन के रिहाई के राह खोल दिहलसि ।
कृष्णइया के हत्या 1994 में भईल रहे
ध्यान देवे वाला बात बा कि पूर्व सांसद के निचला अदालत 5 अक्टूबर 2007 के फांसी के सजा सुनवले रहे, जवना के 10 दिसंबर 2008 के पटना हाईकोर्ट कड़ा उम्रकैद में बदल देले रहे आ सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई 2012 के एकर पुष्टि कईले रहे। रहे। तेलंगाना के निवासी कृष्णइया के 1994 में भीड़ पीट-पीट के हत्या कs देले रहे। घटना तब भईल जब मुजफ्फरपुर जिला में गुंडा छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस के उनुकर गाड़ी ओवरटेक करे के कोशिश कईलस। ओह घरी विधायक रहल आनंद मोहन अंतिम संस्कार के जुलूस के अगुवाई करत रहले आ उनुका पर भीड़ के भड़क के कृष्णइया के हत्या करे के आरोप लागल रहे।
आनंद मोहन समेत 97 दोषी के रिहा क दिहल गईल
6 फरवरी के सर्वोच्च अदालत सजा घटावे के खिलाफ आनंद मोहन के याचिका के सुनवाई करत पूर्व सांसद से आपन पासपोर्ट सौंप के हर पखवाड़ा प स्थानीय थाना में हाजिर होखे के कहले रहे। पछिला साल 11 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार से पूछले रहे कि पूर्व सांसद समेत केतना दोषी के सजा में छूट दिहल गईल बा, जवन कि ड्यूटी प मौजूद लोक सेवक के हत्या के मामला में दोषी पावल गईल बाड़े। बिहार सरकार कोर्ट के बतवले रहे कि आनंद मोहन समेत कुल 97 दोषी के समय से पहिले रिहा क दिहल गईल।
याचिका में कृष्णा के पत्नी का कहली?
याचिकाकर्ता उमा कृष्णैया के तर्क बा कि आनंद मोहन के दिहल आजीवन कारावास के मतलब मौत तक के जेल बा आ एकर व्याख्या महज 14 साल के जेल के रूप में नईखे कईल जा सकत। कृष्णा के पत्नी अपना याचिका में कहले बाड़ी कि, “जब फांसी के सजा के विकल्प के रूप में उम्रकैद के सजा दिहल जाला तs ओकरा के अदालत के निर्देश के मुताबिक कड़ाई से लागू करे के पड़ेला आ सजा माफी से परे होई।”
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