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गरमी से कुकुरन के बदलल बेहवार, राहगीरन के करतारे शिकार; विशेषज्ञ बोलले- एही तरे करी बचाव

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गरमी में कुकुरन के आतंक बढ़ गइल बा। सड़क पs घूमत कुकुर कुल राहगीरन पs आक्रामक हो जात बाड़े। एकरा चलते गोरखपुर जिला अस्पताल में एआरवी लगावे खातीर लोग कतार में खड़ा बाड़े। 130 के जगह रोज 175 से अधिका पीड़ित पहुंच रहल बाड़े। 12 आ 19 जून के 260 से अधिका लोग के टीकाकरण भइल रहे।

बेहद गरमी के चलते कुकुर आक्रामक हो गईल बाड़े। उनकर व्यवहार में बदलाव आइल बा। कुकुर दौड़ा के राहगीरन के काटत बाड़े। कुकुर काटला के बाद एंटी रेबीज टीका (एआरवी) करावे खातिर जिला अस्पताल पहुंचे वाला पीड़ितन के संख्या बढ़ल बा। सामान्य दिन में रोजाना 130-140 पीड़ित पहुंचत रहले, फिलहाल उनुकर संख्या बढ़ के 175 से जादे हो गईल बा। 12 आ 19 जून के 260 से अधिका लोग एआरवी लगवावे आइल रहले।

सबेरे से एआरवी रूम के सामने भीड़

सबेरे 8 बजे से एआरवी रूम के सामने कतार लागल बा। राहत के बात बा कि जिला अस्पताल में एआरवी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध बा, जवना में से अबे ले 900 शीशी बाचल बा। एक शीशी में पांच खुराक होखेला। सबेरे से दुपहरिया दू बजे ले लोग के टीकाकरण हो रहल बा। बुधवार के भी भारी संख्या में पीड़ित पहुंचले, सबके एआरवी लगावल गईल।

एतना मरीज एह दिन पहुंचले

•20 जून- 177

•19- 268

•17- 177

•16- 179

•15- 17514- 144

•13- 167

•12 जून- 263

जादा गरमी अवुरी खाना के कमी के चलते कुकुर आक्रामक हो तारे

गरमी के मौसम में कुकुरन के आक्रामकता अधिका होला। एकरा चलते सड़क पs आवत-जात लोग के दौड़त-दौड़त काटत बाड़े। पशु चिकित्सक एकरा पीछे भोजन के कमी अवुरी उच्च तापमान के कारण मानतारे। डॉ. राजेश तिवारी बतवले कि जईसे-जईसे तापमान बढ़ेला ओसही कुकुरन में चिड़चिड़ापन अवुरी बेचैनी के लक्षण देखाई देवे लागेला। कुकुर जीभ से तापमान के नियंत्रित करेले। छाया आ मीठा पानी के कमी से कबो-कबो इनहन में कई तरह के व्यवहार में बदलाव होला। एहमें भोकाल, आक्रामकता आदि शामिल बा। आवत-जात केहु के पीछा करे लागेले आ ओकरा के काटे लागेले। पशु चिकित्सक डॉ. संजय श्रीवास्तव बतवले कि दिन में गरमी के चलते कुकुर ठंडा जगह पs बईठ के समय बितावेले। रात में हल्का ठंडा होखे पs झुंड बना के गली-गली में घूमेले। दिन के गरमी अवुरी खाना ना मिलला के चलते आवागमन करेवाला लोग के दौड़ावेले। एह दौरान कुकुर के काटला के संख्या भी बढ़ जाला।

विशेषज्ञ के मुताबिक बचाव के काम अयीसन करीं

•लइकन के कुकुरन से दूर राखीं, दौड़इले पs रुक जाई।

•कुकुर के काटला के बाद काटले जगह के 10 से 12 बेर साबुन से धो लीं। डाक्टर से संपर्क क के इलाज करा लीं।

• घर के आसपास रहे वाला कुकुरन खातिर पानी आ खाना के प्रबंधन करीं|

• गरमी के समय कुकुरन के परेशान ना करीं, ना मारीं, एहसे ऊ अउरी आक्रामक हो जालें।

• मालिकन के अपना कुकुरन के रेबीज के टीका जरूर से लगवाए के पड़ी।

अफसर लोग का कहत बाने

जिला अस्पताल के मुख्य अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र ठाकुर कहले कि एआरवी के पर्याप्त व्यवस्था बा। अब टीका के 900 शीशी बाचल बा। एकरा खतम होखे से पहिले अवुरी टीका मंगावल जाई। केहू के कवनो समस्या के सामना ना करे के पड़ी।

साभार- जागरण

 

 

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