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कविता

भोजपुरी कविता:कवनों शिकवा शिकायत नाही बा तुहसे….

कवनों शिकवा शिकायत नाही बा तुहसे, न काले रहे न आजे बा, अउर त अउर तुहार कहल हर एक बतिया के हम सच ही मानी ना, इहो जानत बानी कि तू हमसे झूठ ही…

भोजपुरी कविता, कुबेरनाथ मिश्र ‘विचित्र’ के मुक्तक…

अधिकतर मंच कवि लोग के तरह इनकर भी एगो उपनाम रहे - 'विचित्र'। बाकिर ई तखल्लुस खाली नाम में ना रहे। उहाँ के एगो अद्भुत कवि रहले, जेकर…

बाबूजी-2 (कविता) मैकश के कलम से

घर के जानल पहचानल अनजान बाबूजी हो गइले जइसे कवनों गाछ पुरान बाबूजी घर आंगन दुआर के लाठी रखवार बाबूजी आन्ही रोकत जइसे माटी के देवार बाबूजी…

राष्ट्रीय कविता संगम पुरस्कार वितरण समारोह भइल आयोजित

कोलकाता। विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के महत्वपूर्ण अवसर पर राष्ट्रीय कविता संगम, मध्य कोलकाता इकाई द्वारा पुरस्कार वितरण समारोह के साथे-साथे कविता के…

सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी (कविता) मैकश के कलम से

कोइला के धाह में ककड़ गईल जिनिगी सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी लईकाई में हमरो बड़ बड़ कहानी रहे एगो नाय रहे आ छाती भर पानी रहे आन्ही पानी आईल…