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सरकार से सब्सिडी लेके सुरू करीं फिश फार्मिंग, हर महीना होई 2 लाख तक के कमाई, आसान बा प्रोसेस

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जदि रउआ कमाई करे के सोच रहल बानी तs आज हम रउआ के एगो बेहतरीन बिजनेस आइडिया के बारे में बता रहल बानी।  जहां रउआ खाली 25,000 रुपिया सालाना खर्च कs के औसतन 1.75 लाख रुपिया कमा सकत बानी।

हम बात कर रहल बानी मछली पालन (Fish Farming) के कारोबार के। बता दीं कि वर्तमान में किसान सब्जी के अलावे मछली पालन (Fisheries) पs धेयान ध्यान दे रहल बा लो। जदि रउओ मछली पालन के बेवसाय में बानी भा फेर एकरा के सुरू कइल चाहत बानी तs एकर आधुनिक तकनीक रउआ के बंपर मुनाफा करवा सकत बा। जी हs.. मछली पालन खातिर एह दिनन बायोफ्लॉक तकनीक (Fish Farming Business by Biofloc Technique) बहुते मशहूर हो रहल बा। कइयन लोग एह तकनीक के इस्तेमाल कs के लाखन में कमाई कर रहल बा।

सरकारो मछली पालन के बेवसाय के बढ़ावा (Fisheries Business) दे रहल बिया। हाले में मछली पालकन के प्रोत्साहित करे खातिर छत्तीसगढ़ सरकार एकरा के कृषि (Agri) के दर्जा देले बिया। राज्य सरकार मछली पालन करे वाला किसानन के इंटरेस्ट फ्री लोन के सुविधा दे रहल बिया। संगही सब्सिडी आ मछुवारन खातिर बीमा योजनो सरकार के तरफ से मिलत बा। दबोह निवासी मानवेंद्र सिंह यादव बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन कs रहल बाड़ें, एकर सालाना टर्नओवर 45 लाख बा। एमे खर्च आदि काटके हरसाल 5 लाख रुपिया करीबन बच जात बा।

जानीं कइसे काम करत बा तकनीक

बता दीं कि Biofloc Technique एगो बैक्टीरिया के नाम हs। एह तकनीक के माध्यम से मछली पालन में बहुते मदद मिल रहल बा। एमे बड़ बड़ (करीब 10 15 हजार लीटर के) टैंकन में मछलियन के डालल जाला। एह टैंकन में पानी डाले, निकाले, ओमें ऑक्सीजन देवे आदि के अच्छा खासा बेवस्था होला। बायोफ्लॉक बैक्टीरिया मछली के मल के प्रोटीन में बदल देला, जवना के मछली वापस खा लेली सs, एसे एक तिहाई फीड के बचत होला। पानियो गंदा होखे से बांचल रहेला। हालांकि, रउआ तालाब में मछली पालके मोट कमाई कs सकत बानी।

अइसे सुरुआत कs सकत बानी

एकरा के सुरू करे खातिर रउआ सबसे पहिले बायोफ्लॉक खातिर टैंक के निर्माण करे के होई। बायॉफ्लोक पानी के निर्माण कइल, मछली के बीजके चुनाव कइल, बायोफ्लॉक टैंक में मछली बीज डाले के संख्या, बायोफ्लॉक टैंक में मछली डाले के समय मछली के देखभाल कइल, पानी के गुणवत्ता चेक कइल, मछली निकाले के समय एह सबके बारे में जानकारी होखल जरूरी बा। हम रउआ के एक छोट गांव के छोट किसान गुरबचन सिंह के बारे में बता रहल बानी जिनका लगे खाली 4 एकड़ जमीन बा। ऊ एकरा के विकसित कs के 2 एकड़ में मछली पालन सुरू कइलें। एसे उनका के आज 2 लाख रुपिया से जादे के आमदनी होत बा।

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