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साहित्य-सिने-कला संस्था ‘सृजन-संवाद’ के 12वां बरिस के दूसरकी गोष्ठी माने एकर 115 वां सिने-गोष्ठी ‘डॉक्यूमेंट्री तथा जीवनियों’ पs रहल केंद्रित, भोपाल आ मुंबई से वक्ता लोग राखल आपन बात

‘सृजन संवाद’ साहित्य, सिनेमा आ अलग-अलग कला पs हर महीना गोष्ठी करत 11 बरिस के सफ़ल यात्रा सम्पन्न कइले बा। उ आपन पहचान एगो गंभीर मंच के रूप में स्थापित कइले बा।

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साहित्य-सिने-कला संस्था ‘सृजन-संवाद’ के 12वां बरिस के दूसरकी गोष्ठी माने एकर 115 वां सिने-गोष्ठी जवन ‘डॉक्यूमेंट्री तथा जीवनियों’ पs केंद्रित रहे ओमे भोपाल आ मुंबई से वक्ता लोग आपन बात राखल। कार्यक्रम के औपचारिक सुरुआत करत डॉ. विजय शर्मा वक्ता, टिप्पणीकार, श्रोता-दर्शक लोगन के स्वागत कइले। ऊ बतवले कि ‘सृजन संवाद’ साहित्य, सिनेमा आ अलग-अलग कला पs हर महीना गोष्ठी करत 11 बरिस के सफ़ल यात्रा सम्पन्न कइले बा। उ आपन पहचान एगो गंभीर मंच के रूप में स्थापित कइले बा। 12वां बरिस के दूसरकी गोष्ठी माने एकर 115वां गोष्ठी में भोपाल से डॉक्यूमेंट्री मेकर सुदीप सोहनी आ मुंबई से फ़ेमिना पत्रिका के 12 बरिस ले संपादक रहल सत्या सरन वक्ता के रूप में उपस्थित रहल लो।

एफ़टीआई, पुणे से प्रशिक्षित सुदीप सोहनी आपन डॉक्यूमेंट्री ‘तनिष्का’ के बने के पृष्ठभूमि बतवले। ‘तनिष्का’ एगो किशोरी के भरतनाट्यम नर्तकी बने के यात्रा हs। सुदीप सोहनी बहुते कठिनाइयन के साथे स्वतंत्र फ़िल्म मेकर के रूप में एकर निर्माण कइलें। संतोख के बात बा कि आज ई डॉक्यूमेंट्री अलग-अलग फ़िल्म समारोहन में प्रदर्शित होके सराहल जा रहल बिया। ऊ स्कूल-कॉलेज के छात्रन के बीचे एकरा के लेके जा रहल बाड़ें आ फिलिम देखला के बाद एह पs विचार-विमर्श कs के युवा पीढ़ी में फिलिम के समझ पैदा करे के कोसिस कर रहल बाड़े। ‘तनिष्का’ के जल्दिये ऊ ओटीटी पs ले आवे आला बाड़े। ‘सुदीप सोहनी फ़िल्म्स’ के संस्थापक सुदीप सोहनी एकरा पहिले कंपनी में सीनियर कॉपी राइटर के हैसियत से काम कs चुकल बाड़े। ऊ विश्वरंग इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल के डॉयरेक्टर के रूप में सम्मानित बाड़े। खंडवा से आवे वाला सुदीप सोहनी के नाटकन से खासा जुड़ाव रहल बा आ ऊ ‘सुबह-सवेरे’ कॉलम लिखल करते रहले। जल्दिये ऊ आपन दूसरकी डॉक्यूमेंट्री के काम पूरा करे वाला बाड़ें।

साँझ के दुसरका वक्ता प्रसिद्ध एडीटर (फ़ेमिना पत्रिका) आ जीवनीकार सत्या सरन कइयन गो ख्यात लोगन के जीवनी लिखले बाड़ी। ऊ जीवनी लिखत घरी मिलल अनुभवन के श्रोता/दर्शकन से साझा कइली। हर जीवनी लेखन के कहानी अलग रहल आ उनका ओकनी के लिखते समे जिनगी के अमूल्य ज्ञान प्राप्त भइल। पेन्गुइन रेन्डम हाउस के कन्सल्टिंग एडीटर ‘गुरुदत्त: एबरार अल्वी’ज जर्नी’, ‘द म्युजिकल वर्ल्ड ऑफ़ एसडी बर्मन’, ‘बात निकलेगी तो फ़िर: द लाइफ़ एंड म्युजिक ऑफ़ जगजीत सिंह’ के अलावे पं. हरिप्रसाद चौरसिया आ ऋतु नंदा के जीवनियो लिखले बाड़ी। कहानीकार होखला के साथे सत्या सरन फ़ैशन जर्नलिज्म पढ़ावहु के काम करेली। ऊ वैवाहिक जीवन के संघर्ष पs टीवी सीरियल ‘कशमकश’ लिखले बाड़ी आ ऊ वे न्यू इंडियन एक्सप्रेस कॉलम लिखेली। दैनिक जागरण में उनकर कॉलम निरंतर प्रकाशित हो रहल बा। सत्या सरन आपन किताबन के देखवली।

कार्यकर्म के समेटत धन्यवाद ज्ञापन कालडी के शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. शांति नायर कइले। बैंग्लोर के मूर्तिकार शिक्षक परमानंद रमण पोस्टर बनवले। मीटिंग के रिकॉर्डिंग दिल्ली के प्रोफ़ेसर डॉ. इला भूषण कइलें। डॉ. विजय शर्मा वक्ता के परिचय देले आ उनकर वक्तवय टिप्पणी करत कार्यक्रम के संचालन कइले। गूगल मीट के एह गोष्ठी में जमशेदपुर से गीता दुबे, राँची से डॉ. कनक ऋद्धि, दिल्ली से डॉ. इला भूषण, पुणे से फ़िल्म इतिहासकार मनमोहन चड्ढ़ा, मुंबई से सत्या सरन, कहानीकार ओमा शर्मा, डॉ. सचिन भोंसले, विनीता मुनि, भोपाल से सुदीप सोहनी, कालडी से डॉ. शांति नायर, गोमिया से डॉ. प्रमोद कुमार बर्णवाल, बैंगलोर से पत्रकार अनघा, वर्धा से डॉ सुप्रिया पाठक, डॉ. सुरभि विप्लव, उत्तराखंड से डॉ. विपिन शर्मा, कोलकता से सिने-लेखक मृत्युंजय, गुजरात से उमा सिंह, बनारस से नाटककार जयदेव, लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, डॉ. राकेश पांडेय सहित बहुत सारा दर्शक जुड़ल लो, ऊ लोग एकरा के देखल, सराहल आ ए पs टिप्पणी कइल लो।

‘सृजन संवाद’ के अगस्त महीना के गोष्ठी विश्व साहित्य पs होई।

299330cookie-checkसाहित्य-सिने-कला संस्था ‘सृजन-संवाद’ के 12वां बरिस के दूसरकी गोष्ठी माने एकर 115 वां सिने-गोष्ठी ‘डॉक्यूमेंट्री तथा जीवनियों’ पs रहल केंद्रित, भोपाल आ मुंबई से वक्ता लोग राखल आपन बात

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