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डॉलर के मुकाबिले रुपया 80 पार , आम आदमी पर एह कमजोरी से केतना पड़ी मार?

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साल 2014 से डॉलर का मुकाबले रुपिया के दाम 25 फीसदी घट गइल बा. मंगल का दिने वैश्विक बाजार में कच्चा तेल के दाम बढ़ला का चलते रुपिया 80 रुपिया प्रति डॉलर के भी पार कर गइल बा. अयीसना में इ आकलन कईल जरूरी बा कि रुपया के ए अवमूल्यन के आम आदमी के जीवन प का असर बा?

कुल मिलाके रुपया में कमजोरी बढ़त जाई, आम आदमी के परेशानी भी बढ़त जाई। एकर सबसे बड़ कारण इ बा कि हमनी के देश बहुत चीज़ खाती आयात प निर्भर बा। आयात-निर्यात के अधिकतर काम खाली अमेरिकी डॉलर में होला एहसे बाहर के देशन से कवनो चीज खरीदे खातिर हमनी के बहुते रुपिया खरच करे के पड़ी. अयीसना में देश में पेट्रोल-डीजल समेत अवुरी आयातित सामान महंगा हो जाई।

कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप अवुरी इलेक्ट्रॉनिक सामान महंगा हो सकता

रुपया के कमजोर होखला के असर कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, खाए लायक तेल अवुरी बाकी इलेक्ट्रानिक सामान प पड़ सकता। इलेक्ट्रॉनिक सामान अवरू गैजेट के अधिकांश विदेश से आयात कईल जाला। अयीसना में रुपया के कमजोर होखला के चलते ए लोग के दाम भी बढ़ सकता, काहेंकी आयातकर्ता के एकही कीमत अवुरी मात्रा खाती जादे पईसा देवे के होई। रुपया के अवमूल्यन के चलते विदेश में पढ़ाई भी महंगा हो सकता। रुपिया के मूल्य घटला के मतलब साफ बा कि हर डॉलर खातिर रउरा अधिका रुपिया देबे के पड़ी. एकरा से विदेश में पढ़ाई करेवाला छात्र के खर्चा में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होई।

विदेश में छुट्टी महंगा हो जाई

अगर रउरा बिजनेस भा छुट्टी का दिने विदेश जाए के सोचत बानी त कमजोर रुपिया का चलते ई रउरा खातिर महँग सौदा साबित हो सकेला. जइसे-जइसे रुपया कमजोर होके गिरत जाई, राउर विदेश यात्रा महंगा हो जाई। अगर आप अपना विदेश यात्रा के योजना 70 रुपया प्रति डॉलर के स्तर प बनवले रहनी, त आपके खर्चा में भी करीब 15 प्रतिशत के बढ़ोतरी होई, जदी रुपया 80 रुपया प्रति डॉलर हो जाई। जइसे-जइसे रुपिया के मूल्य घटत जाला, देश के आयात भी महंगा हो जाला, जेकरा चलते देश के विदेश व्यापार घाटा भी बढ़ जाला।

रुपिया के टूटला से एह लोग के फायदा हो रहल बा

रुपया में जवन कमजोरी बा उ सभके नुकसान के सौदा नईखे। एकरा से निर्यातक के फायदा होखे वाला बा. एकर कारण बा कि विदेश में सामान बेचला से डॉलर के आमदनी होला आ जइसे-जइसे रुपिया के दाम घटत जाई, ओह लोग के अपना उत्पाद के दाम अधिका मिल जाई. रुपिया के मूल्य घटला से आईटी आ फार्मा कंपनियन के फायदा होखी काहे कि ऊ लोग अपना उत्पाद के निर्यातो बड़हन तरीका से करेली सँ. इनकर अधिकतर आमदनी खाली डॉलर में होला.

रुपया के तुलना डॉलर से काहे बा? ब्रेटन वुड्स समझौता का ह?

वैश्विक मुद्रा बाजार में अधिकांश मुद्रा के तुलना डॉलर से कईल जाला। हमनी के अक्सर देखत बानी जा कि कवनो देश के मुद्रा के डॉलर के मुकाबले मूल्य के चर्चा बनल रहेला| हमनी के देश में भी रुपया के उतार-चढ़ाव के तुलना खुद डॉलर से कईल जाला। पिछला कुछ महीना में डॉलर का मुकाबले रुपिया के दाम बहुते घट गइल बा. लेकिन, रुपया के तुलना खुद डॉलर से काहे होखेला? एह सवाल के जवाब दूसरा विश्वयुद्ध के समय ‘ब्रेटन वुड्स समझौता’ में छिपल बा| एह समझौता में तटस्थ वैश्विक मुद्रा बनावे के प्रस्ताव रहे|

ओह घरी अमेरिका युद्धग्रस्त दुनिया में आर्थिक रूप से मजबूत उभरल रहे| अइसना में अमेरिकी डॉलर के दुनिया के रिजर्व मुद्रा चुनल गइल आ डॉलर के इस्तेमाल पूरा दुनिया के मुद्रा खातिर पैरामीटर के रूप में कइल गइल।

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