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गोपालगंज: हिन्दी साहित्य के प्रख्यात आलोचक प्रो. मैनेजर पांडेय के निधन से शोक के लहर

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गोपालगंज: नारायणी के कछार से उगे वाला आ समूचा गोपालगंज सहित हिन्दी साहित्य के गौरव आ अपना व्यक्तित्व से सब ओर अंजोर फइलावे वाला आदरणीय प्रो. मैनेजर पांडेय के निधन के खबर से शोक के लहर फइल गइल बा। हिन्दी साहित्य के प्रख्यात आलोचक, प्रखर विद्वान आ जिला के साहित्यिक शीर्ष के देवलोक गमन प उहां के चाहे वाला लोग गमनीन बा।

गोपालगंज (बिहार) जिला के गाँव ‘लोहटी’ में जनमल आ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहल मैनेजर पाण्डेय (जनम 23.9.1941) हमनी के समय के सबसे गंभीर आ जिम्मेदार समीक्षकन में रहल बानी। दुनिया भर के समकालीन विमर्शन, सिद्धांतन आ सिद्धांतकारन प उहां के पैनी नजर रहत रहे। उहां के हिन्दी के मार्क्सवादी आलोचना के, सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनन के आलोक में, देश-काल आ परिस्थितियन के धेयान में राखत आउर जादे संपन्न आ सृजनशील बनवले बानी।

वैश्विक विवेक आ आधुनिकता बोध उहां के आलोचना के प्रमुख विशेषता रहल बा। ‘साहित्य और इतिहास दृष्टि’, ‘शब्द और कर्म’, ‘साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका’, ‘भक्ति आन्दोलन और सूरदास का काव्य’, ‘आलोचना की सामाजिकता’, ‘हिन्दी कविता का अतीत और वर्तमान’, ‘आलोचना में सहमति असहमति’, ‘भारतीय समाज में प्रतिरोध की परंपरा’, ‘अनभै सांचा’ आदि पाण्डेय जी के महत्वपूर्ण समीक्षात्मक कृति बाड़ी स।

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