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‘कविता के समकालीन चुनौती’ विषय पर शहर में गरमागरम विमर्श

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कार्यक्रम के युवा लेखक लोग मिल के बशारतपुर स्थित निखिल पांडेय जी के आवास पर कइले रहनें सब। दू दिवसीय कार्यशाला के पहिले दिन के पहिला सत्र में ‘ कविता के नये स्वर ‘ के अंतर्गत चार कवि लोग काव्यपाठ कइल, जेमे युवा कवि सत्यशील राम त्रिपाठी ‘सजा है दिल्ली का दरबार ‘ जइसन कविता पढ़लें त उहवें केतन यादव
‘ ग्लोबल हंगर इंडेक्स ‘ नामक कविता पढ़लें। युवा कवयित्री आकृति विज्ञा अर्पण ‘ लड़कियाँ दाल नमक सी ‘ जइसन शीर्षक के स्त्री विमर्श से संबंधित कविता पढ़ली त उहवें जानल मानल युवा कवयित्री चेतना पांडेय ‘ परिभाषा रोज उलझती है ‘ जइसन गूढ़ दार्शनिक गीत पढ़ली ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘ कविता की समकालीन चुनौतियाँ ‘ नामक विषय पर गरमागरम विमर्श के माहोल तैयार भइल ।

दूनों सत्र के अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक प्रो रामदेव शुक्ल जी कइलें। एह विषय पर कवि श्रीधर मिश्र प्रकाश डारत कहलें कि कविता के समकालीन चुनौती हर समय में रहल अउर उनके कवि के पहचानत चले के होई। ऊ भाषा अउर विचार के भी बा अउर अभिव्यक्ति के भी । आगे प्रो अरविंद त्रिपाठी जी कहलें कि नयका कवियन के पुरान कवियन से सीखे के चाहीं।

वरिष्ठ समालोचक अरविंद जी इंटरनेट पर कंटेंट के बमबारी पर काफी दुख जतवलें। एकरे बाद महेश अश्क जी कवियन के आपन अलग मौलिक राज बनावे के बात कहलें । प्रो अनंत मिश्र महत्वपूर्ण बिंदु के रेखांकित करत कहलें कि आंतरिक चुनौतियन में भाषा अउर शिल्प त प्रमुख बटले बा, लेकिन बाहरी चुनौतियन में रानजीतिक , आर्थिक , कानूनी , सामाजिक अउर बहुते चुनौती बा।

कार्यक्रम के अंत में अध्यक्षीय वक्तव्य में वरिष्ठ साहित्यकार रामदेव शुक्ल जी कहलें कि भरपूर जीये के चाहीं भरपूर लिखे खातिर। प्रो शुक्ल सब कवियन के खूब तारीफ कइलें । कार्यक्रम शहर के वरिष्ठ कवि देवेंद्र आर्य, निखिल पांडेय, सलीम मज़हर , सौम्या पांडेय आदि लोग के मौजूदगी में भइल।

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