शरद पूर्णिमा के कोजागरी आ कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जानल जाला। एह दिन चंद्रमा के पूजा के साथे देवी राधा-कृष्ण, सरस्वती माता, शिव-पार्वती आ विष्णु-लक्ष्मी के भी पूजा होला। मानल जाला कि, शरद पूर्णिमा के रात में भगवान श्रीकृष्ण ब्रज के गोपी लोग के संगे रासलीला कईले रहले। ई हिन्दू धर्म के पवित्र दिन में से एगो हs आ एह दिन देवी लक्ष्मी के पूजा करे के एगो खास परंपरा बा। एकरा संगे पवित्र नदी में नहाए अवुरी दान भी कईल जाला। अइसना में शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी के पूजा के शुभ समय कब होई आ कवना समय नहा के दान करे के चाहीं, ई जानीं.
*लक्ष्मी पूजा के समय – 16 अक्टूबर के रात 11:42 बजे से 12:32 बजे ले (रउआ एकरा साथे देवी सरस्वती के भी पूजा कs सकेनी)
*स्नान-दान मुहुरत– पूर्णिमा तिथि 16 तारीख के रात 8.40 बजे से शुरू होई। पूर्णिमा तिथि 17 तारीख के सांझ ले रही। एह से सबेरे नहा के 17 तारीख के साँझ के समय ले दान कs सकेनी।
शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी के पूजा के महत्व
चंद्रमा के संगे शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी के पूजा भी बहुत जरूरी मानल जाला। धार्मिक मान्यता के अनुसार देवी लक्ष्मी एह दिन धरती पs आवेली। एही से भक्त लोग संस्कार से उनकर पूजा करेला। एकरा साथे धार्मिक ग्रंथन में भी उल्लेख बा कि देवी लक्ष्मी के अवतार एही दिन ही भइल रहे। एह से शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजा के बहुत महत्व बा। एह दिन चंद्रमा भी 16 गो कला आ अपना किरण से अमृत के बरखा से भरल रहेला। इहे कारण बा कि एह दिन भक्त लोग रात के चाँदनी में खीर रखेला आ अगिला दिने लक्ष्मी पूजा में देवी लक्ष्मी के ई खीर चढ़ावेला। एकरा साथे खुद भक्त लोग भी एह खीर के प्रसाद के रूप में स्वीकार करेला। भक्त लोग के खीर खा के स्वास्थ्य लाभ मिलेला।