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कविता

बाबूजी-2 (कविता) मैकश के कलम से

घर के जानल पहचानल अनजान बाबूजी हो गइले जइसे कवनों गाछ पुरान बाबूजी घर आंगन दुआर के लाठी रखवार बाबूजी आन्ही रोकत जइसे माटी के देवार बाबूजी…

सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी (कविता) मैकश के कलम से

कोइला के धाह में ककड़ गईल जिनिगी सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी लईकाई में हमरो बड़ बड़ कहानी रहे एगो नाय रहे आ छाती भर पानी रहे आन्ही पानी आईल…

विश्व कविता दिवस : कुमार आशू के कलम से

कविता आदमी के आदमियत के पहिचान हवे| एही से एह छौ रस वाला एह सृष्टि में कविता में नौ रस पावल जाला| लेकिन कविता कब आपन रूप पावेले अउर कब ओकर रहल सार्थक…

मनहरण घनाक्षरी (कविता)- गणेश नाथ तिवारी विनायक जी के कलम से

मनहरण घनाक्षरी फगुनी बयार झरे ,लोगवा गुहार करे। धनि मनुहार करे,बाति मोरा मान ली।। बानीं परदेस रवा,चलि आई देस रवा। तनिको ना देर करी,मनवा में ठान…

एह फ़ाग में पिया तोहर नऊवे एक रंग बा (होली कविता)- नेहा नूपुर के कलम से

एह फ़ाग में पिया तोहर नऊवे एक रंग बा इहे बा गुलाल मोरा, इहे मोर भंग बा आके तू हमके गरबा लगाव खेत खलिहान दुअरवा देखाव नौलक्खा ना दसलखा सइयां…

भोजपुरी लिखे के सीखीं (कविता/गज़ल गीत) : शशि रंजन मिश्र के कलम से

भइया हो! भोजपुरी लिखs हिंदी काहे हिनहिनावत बाड़s? भासा भाव के भेव बुझs गाय भईंस के सिंघ काहे मिलावत बाड़s बोललका लिखलका में भेव काहे…