कविता बाबूजी-2 (कविता) मैकश के कलम से Jun 15, 2022 घर के जानल पहचानल अनजान बाबूजी हो गइले जइसे कवनों गाछ पुरान बाबूजी घर आंगन दुआर के लाठी रखवार बाबूजी आन्ही रोकत जइसे माटी के देवार बाबूजी…
कविता सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी (कविता) मैकश के कलम से Jun 2, 2022 कोइला के धाह में ककड़ गईल जिनिगी सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी लईकाई में हमरो बड़ बड़ कहानी रहे एगो नाय रहे आ छाती भर पानी रहे आन्ही पानी आईल…
कविता घर छोड़ला के बाद (कविता) मैकश के कलम से May 1, 2022 हमरा घर छोड़ला के बाद घर, घर ना किराया के मकान लागेला एगो लइकि बिया जवन ताकत रहेले एक भोरे से एगो औरत बाड़ी जेकर जिनगी में बा इंतजारे लिखल मन…
कविता विश्व कविता दिवस : कुमार आशू के कलम से Mar 21, 2022 कविता आदमी के आदमियत के पहिचान हवे| एही से एह छौ रस वाला एह सृष्टि में कविता में नौ रस पावल जाला| लेकिन कविता कब आपन रूप पावेले अउर कब ओकर रहल सार्थक…
कविता मनहरण घनाक्षरी (कविता)- गणेश नाथ तिवारी विनायक जी के कलम से Feb 27, 2022 मनहरण घनाक्षरी फगुनी बयार झरे ,लोगवा गुहार करे। धनि मनुहार करे,बाति मोरा मान ली।। बानीं परदेस रवा,चलि आई देस रवा। तनिको ना देर करी,मनवा में ठान…
कविता गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ के कलम से Feb 23, 2022 भारत में अइसन, विश्वविद्यालय बा पढ़ावे के जातिये जजाति हो गइल बा, नेता उपजावे के चुनाव नियराते,व्यंग कसsता लोग खूब जातिये में,बाँटे…
कविता एह फ़ाग में पिया तोहर नऊवे एक रंग बा (होली कविता)- नेहा नूपुर के कलम से Feb 19, 2022 एह फ़ाग में पिया तोहर नऊवे एक रंग बा इहे बा गुलाल मोरा, इहे मोर भंग बा आके तू हमके गरबा लगाव खेत खलिहान दुअरवा देखाव नौलक्खा ना दसलखा सइयां…
कविता भोजपुरी लिखे के सीखीं (कविता/गज़ल गीत) : शशि रंजन मिश्र के कलम से Feb 18, 2022 भइया हो! भोजपुरी लिखs हिंदी काहे हिनहिनावत बाड़s? भासा भाव के भेव बुझs गाय भईंस के सिंघ काहे मिलावत बाड़s बोललका लिखलका में भेव काहे…
कविता जे मन मे बा तs प्यार करs (कविता) मैकश के कलम से … Feb 17, 2022 जे मन में बा तs प्यार करs भा सीधा तू इनकार करs