कविता तीज के बरतिया (कविता) गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ के कलम से Aug 29, 2022 हाथवा में मेंहंदी लगाइबि सेनुरा सजाइबि महावर लगाइबि हो करब निर्जल, तीज के बरतिया शिव के मनाइबि हो तीज के बरत, एहवात करे जग में पिया के…
कविता इ संसार अजब बा जी (कविता) सौरभ त्रिपाठी के कलम से Jul 9, 2022 इ संसार अजब बा जी आ एकर रिवाजो गजब अब देखी ना बियाह से पहिले जवन लईका पूरा घर के प्यारा रहेला, बियाह के बाद होखे लागे ला ओकर प्यार…
कविता अटरिया मोर कहवाँ बनीं (कविता) गणेश नाथ तिवारी विनायक के कलम से Jun 21, 2022 नइखे बाँचल काठ के कोठरिया अटरिया मोर कहवाँ बनीं फेड खूंट झाड़ जंगल, सगरो कटि गइलें माटी के मड़इयाँ जाने, कहवा परइले लागि गइल लोहा के सटरिया…
कविता कनवा अन्हरन्ह कै राजा हौ: राजनीतिक व्यंग्य के कविता Jun 21, 2022 बाजत अब ओकरे बाजा हौ कनवा अन्हरन्ह कै राजा हौ का दी का ली अब के पूछे चलs भले से राहि ना सूझे भाग बनल किस्मत बहुराइल रंगल सियारन के दिन आइल…
कविता माई-बाबूजी (कविता) गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ के कलम से Jun 16, 2022 बाबू दिन-रात अपना, बचवन के सोंचेले माई मोर लोर कोर,अचरा से पोछेले माई के हियरा,जइसे हउवे गाई बेटवा तs बनि जाला, निपटे कसाई कवनो स्वारथ बिना, बचवा…
कविता बाबूजी-2 (कविता) मैकश के कलम से Jun 15, 2022 घर के जानल पहचानल अनजान बाबूजी हो गइले जइसे कवनों गाछ पुरान बाबूजी घर आंगन दुआर के लाठी रखवार बाबूजी आन्ही रोकत जइसे माटी के देवार बाबूजी…
कविता सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी (कविता) मैकश के कलम से Jun 2, 2022 कोइला के धाह में ककड़ गईल जिनिगी सूइये तागा जोड़े में उजर गईल जिनिगी लईकाई में हमरो बड़ बड़ कहानी रहे एगो नाय रहे आ छाती भर पानी रहे आन्ही पानी आईल…
कविता घर छोड़ला के बाद (कविता) मैकश के कलम से May 1, 2022 हमरा घर छोड़ला के बाद घर, घर ना किराया के मकान लागेला एगो लइकि बिया जवन ताकत रहेले एक भोरे से एगो औरत बाड़ी जेकर जिनगी में बा इंतजारे लिखल मन…
कविता विश्व कविता दिवस : कुमार आशू के कलम से Mar 21, 2022 कविता आदमी के आदमियत के पहिचान हवे| एही से एह छौ रस वाला एह सृष्टि में कविता में नौ रस पावल जाला| लेकिन कविता कब आपन रूप पावेले अउर कब ओकर रहल सार्थक…