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इ संसार अजब बा जी (कविता) सौरभ त्रिपाठी के कलम से

सौरभ के कविता में घर परिवार के बीच के प्यार आ तकरार देखे के मिलेला।

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इ संसार अजब बा जी

आ एकर रिवाजो गजब

अब देखी ना

बियाह से पहिले जवन लईका

पूरा घर के प्यारा रहेला,

बियाह के बाद होखे लागे ला ओकर

प्यार के बंटवारा

आधा आधा….

आ शुरू हो जाला नाप जोख

कि माई के अधिका मानता

कि मेहरारू के

कबो ओ लईका से ना पुछाला

मन के बात..

काहे अइसन करे ई जमाना

कबो पूछी ओकरो से

कि ओकर प्रेम आ सनेह कबो बंट ना सके

माई आ मेहरारू के बीच

कवनो काम के शुरू करे से पहिले

अगर माई के आशीष वाला हाथ के जरूरत बा

त मेहरारू के साथ वाला हाथों जरूरी बा

अगर जिनगी के डगर में माई के राह देखावल बा

त मेहरारू के सलाहो चाही ओकरा…

उ त ई चाहे ला की जब कबो उ थाक जाय

त आराम ख़ातिर मॉई के अँचरा मिले

आ सुकून ला मेहरारू के पल्लू

भूख लगला पे माई खाये के पूछ देवे

तs मेहरारू खाना परोस देस,

उ दुनो के साथ चाहे ला अंतिम सांस तक

उ कबो बंटवारा कईये ना सके

आपन दुलार आ सनेह के

काहे से कि माई के दुलार ओकरा जेतना जरूरी बा

ओतने जरूरी बा मेहरारू के सनेह

उ तs ओह बाती लेखा रहल चाहे दुनो के साथे

जवन माई के गोदी वाला दियनी में

मेहरारू के पियार वाला तेल पाके जरत रहो

आ हरमेशा अँजोर कइले रहो अपन घर गृहस्ती

त मत बांटs ई संसार ओकरा दुलार आ सनेह के

माई आ मेहरारू के बीच मे

उ कवनो जमीन चाहे घर भा पईसा रुपिया ना ह.

जवना के बंटवारा होके आधे आध

उ आदमी हs आदमी ओके बांट के एक ओर के ना कइल जाव त ठीक बा,

काहे से कि उ माई के बेटो बा आ मेहरारू के मनसेधूओ

तs ओके मत बाँटल जाव दुनो के बीच……

 

सौरभ त्रिपाठी के परिचय

सौरभ त्रिपाठी पेशा से मैकेनिकल इंजीनियर आ नई बाजार सकलडीहा, जिला चंदौली के रहनिहार हवे। हिंदी से ग्रेजुएट सौरभ भोजपुरी के ओह नवहा पौध के परिचायक बाड़े जे साफ आ सुनर भोजपुरी के चाहत रखेला। रोजी-रोटी खातिर नौकरी के संगे-संगे इनकर कलम निरंतर सार्थक रचना रचत रहेले…

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