“रोहिंग्या शरणार्थियन के भारत में बस जाए के कवनो अधिकार नइखे”: केंद्र सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिहलस
केंद्र कहलस कि, “अधिकांश विदेशी गैरकानूनी तरीका से भारत में प्रवेश कईले बाड़े। संविधान के तहत मौलिक अधिकार सिर्फ देश के नागरिक के मिलेला। एहसे याचिकाकर्ता नागरिक के नाया वर्क बनावे के मांग नईखन क सकत।”
नई दिल्ली : रोहिंग्या शरणार्थियन के लेके केंद्र के ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कईल गईल बा। एह हलफनामा में केंद्र के कहनाम बा कि भारत में विदेशी लोग के शरणार्थी के रूप में पूरा तरीका से स्वीकार नईखे कईल जा सकत। केंद्र अपना हलफनामा में कहलस कि, “दुनिया के सबसे बड़ आबादी आ सीमित संसाधन वाला विकासशील देश के रूप में देश खातीर जरूरी बा कि उ अपना नागरिक के प्राथमिकता देवे। विधायी ढाँचा से बाहर शरणार्थी के स्थिति के कवनो मान्यता नईखे दिहल जा सकत ।
केंद्र कहलस कि, “अधिकांश विदेशी गैरकानूनी तरीका से भारत में प्रवेश कईले बाड़े। संविधान के तहत मौलिक अधिकार सिर्फ देश के नागरिक के मिलेला। एहसे याचिकाकर्ता नागरिक के नाया काम के निर्माण के मांग नईखन कर सकत। ए प्रकार के फैसला होखेला।” विधायिका के विशेष अधिकार क्षेत्र में आवेला आ न्यायिक आदेश के माध्यम से एकर अनुमति नईखे दिहल जा सकत।”
हलफनामा में कहल गईल बा कि, “अवैध प्रवासी होखला के नाते रोहिंग्या संविधान के भाग III के तहत सुरक्षा के दावा नईखन क सकत, काहेंकी भाग III में सिर्फ देश के नागरिक के सुरक्षा दिहल जाला आ अवैध आप्रवासी के ना। कवनो विदेशी प सिर्फ अनुच्छेद 21 के तहत मुकदमा चलावल जा सकता ओकरा के अधिकार बा।” जीवन आ स्वतंत्रता आ भारत में रहे भा बसे के मौलिक अधिकार के दावा ना कर सके, ई अधिकार खाली भारतीय नागरिकन के मिलेला”।
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