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भोजपुरी लोकगीत संसार में सबसे बेसी विविधता आ समृद्धि वाला, एमे जीये से लेके मरे ताक के बा गीत : राज नंदिनी

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  • पूर्वांचल के पारंपरिक लोकगीत विषय आधारित पांच दिवसीय कार्यशाला के सीआरडीपीजी में भइल सुभारंभ

गोरखपुर। पुर्वांचल के भाषा भोजपुरी के पारंपरिक लोकगीत संसार के समूचा भाषा में मवजूद गीतन में सबसे जादे विविधिता से भरल आ समृद्ध बा। एमे जन्म से लेकर मरण तक खातिर अनगिनत विधा मवजूद बा। पारंपरिक लोकगीतन के दुनिया अथाह होखला के संगही व्यापक गहराई आ विविधिता लेले  बा।

ई बात सोमार लोकवाहिका आ भोजपुरी के उभरत लोककलाकार राज नंदनी कहली। ऊ चंद्रकांति रामावती देवी आर्य महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में “पूर्वांचल के पारंपरिक लोकगीत” पs आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के सुभारंभ के अवसर पs बतौर मुख्य अतिथि बोलत रहली। ऊ लोकगीत के तीनों विधा संस्कार गीत, अनुष्ठानिक गीत आ मनोरंजन गीत के बारे में विस्तार से चर्चा करते एकनी के अलग-अलग प्रकार के बारे में छात्रा लोगन के जानकारी देली। एह दौरान कइयन गो छात्रा लोकगीतन के प्रस्तुति दिहल लो।

एकरा पहिले मां सरस्वती के पुष्पार्चन कs के महाविद्यालय के प्रबंधक डॉ. विजया लक्ष्मी, प्राचार्य डॉ. सुमन सिंह, उपप्राचार्य डॉ. स्वप्निल पांडेय, मुख्य अतिथि राज नंदनी, मिनी उपाध्याय आदि कार्यशाला के विधिवत रूप से सुरुआत कइल।

कार्यशाला के संयोजक ऋचा दुबे गीतन के गाके छात्रा  लोगन के प्रशिक्षण देली। छात्रा लोग कार्यशाला में पूरा उत्साह के संगे आपन सहभागिता देखवली। संचालन डॉ. प्रीति त्रिपाठी कइली। एह अवसर पs सुधीर कुमार मिश्र, सोनू किशोर, मिनी उपाध्याय के संगे महाविद्यालय के शिक्षिका लोगन सहित सइयन के संख्या में छात्रा उपस्थित रहल लो।

कार्यशाला के आयोजन में यायावरी क्लब के बा खास भूमिका 

भोजपुरी भाषा के माध्यम से नवहन में कौशल विकास खातिर गठित यायावरी कल्ब के एह कार्यशाला के आयोजन में विशेष भूमिका बा। बता दीं कि भोजपुरी के पहिला स्टोरी टेलिंग एप यायावरी वाया भोजपुरी नवहन में कौशल विकास के उद्देश्य से शहर के महाविद्यालयन के संगे अनुबंध कs के यायावारी क्लब के गठन कइले बा। एकरा तहत समय-समय पs अलग-अलग विषयन पs कार्यशाला के आयोजन कs के प्रशिक्षण प्रदान कइल जाला।

क्लब के सदस्य सुधीर कुमार मिश्र बतवलें कि अब तक चार से पांच कॉलेजन में कार्यशाला आयोजित कइल जा चुकल ब। विद्यार्थियों से मिल रहल प्रतिक्रिया हमनी के उत्साह दोगुना कइले बा। आगहू भोजपुरी भाषा से कौशल विकास के ई अनूठा प्रयास जारी रही।

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