जू कीपर रोजाना उनके बाड़े में भोजन सामग्री डाले जाने। धीरे-धीरे उनकर नजदीकी जेब्रा से बढ़ रहल बा। दोस्ती पक्का होखले पर जेब्रा के गोरखपुर चिड़ियाघर में लावल जाई।
दरअसल, पिछले दिन गोरखपुर चिड़ियाघर के निदेशक डा.एच राजा मोहन अउर लखनऊ चिड़ियाघर के निदेशक विष्णुकांत मिश्र के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम जेब्रा के स्वभाव के विषय में जानकारी लीहलस। पता चलल कि शर्मीले स्वभाव के ई वन्यजीव चिड़ियाघर के वातावरण में खुद के ढाल नइखे पवलें। इंसानन के देखतही उ एकांत में चल जात रहे।
अइसे में टीम निर्णय लिहलस कि गोरखपुर चिड़ियाघर से एगो जू कीपर भेजकर जेब्रा के उनके संगे सहज कइल जाव। चिड़ियाघर प्रबंधन के मानल बा कि इंसानन के देख के सहज रहले के बाद ही जेब्रा के गोरखपुर चिड़ियाघर में लावल गइल ठीक बा। काहेसेकि, इहां लावल जाए के बाद करीब तीस मीटर दूरी से रोजाना ओके सैकड़ो लोग देखी। पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह बतवलें कि जेब्रा के साथ जू कीपर के दोस्ती ही ओके गोरखपुर लावे में सहायक होई।
3504500cookie-checkगोरखपुर: बढ़ी दोस्ताना व्यवहार तब चिड़ियाघर बन सकी जेब्रा के ठिकाना, दस महीना बाद भी चल रहल बा अगोरा
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