जइसे-जइसे जाड़ा के मौसम आवत जाला, वायु प्रदूषण के खतरा भी कई गुना बढ़ जाला। वायु प्रदूषण भारत समेत दुनिया भर के कई गो बड़ देशन के समस्या बा। पिछला कुछ साल में वायु प्रदूषण के कई गो स्वास्थ्य समस्या के पीछे एगो प्रमुख कारण मानल गइल बा। वायु प्रदूषण के सीधा असर हमनी के फेफड़ा पs पड़ेला अवुरी एकरा से सांस के बहुत बेमारी के खतरा बढ़ जाला। प्रदूषण के चलते हाल के समय में दमा अवुरी श्वसन के मरीज के संख्या में तेजी से बढ़ोतरी भईल बा।रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ावे खातिर प्राणायाम करे के पड़ेला अवुरी ठंडा चीज़ खाए से परहेज करे के पड़ेला। तs आई इहाँ जानी जा कि दमा आ साँस लेबे के समस्या के छुटकारा खातिर कवन प्राणायाम कारगर बा.
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम, प्राणायाम के एगो रूप हs। फेफड़ा के मजबूत करे खातिर इs सबसे उपयोगी योग हs। अइसन कइला से नाड़ी के प्रवाह में भी सुधार होला। भस्त्रिका कइला से साँस के समस्या दूर हो जाला। वायु प्रदूषण के असर कम करे खातिर रोज 15 से 20 मिनट ले भस्त्रिका प्राणायाम करे के चाही। भस्त्रिका प्राणायाम आ कपालभाती प्राणायाम कइला से दमा के स्ट्रोक होखे के संभावना कई गुना कम हो जाला.
सूर्यभेदी प्राणायाम
वायु प्रदूषण बढ़े से बचे खातिर सूर्यभेदी प्राणायाम कइल भी बहुत फायदेमंद होला। सूर्यभेदी प्राणायाम में दाहिना नाक से साँस ली आ ओकरा बाद बाईं ओर से साँस छोड़ी। ठंडा के दिन में शरीर के गरम राखे खातिर इs सबसे उपयोगी अवुरी अद्भुत प्राणायम में से एगो हs। सूर्यभेदी प्राणायाम शरीर के तापमान के संतुलन बनावे में भी मदद करेला।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम एगो साँस लेवे के तकनीक हs जवन हमनी के श्वसन तंत्र खातिर बहुत फायदेमंद बा। वायु प्रदूषण के असर से बचे खातिर विशेषज्ञ रोज 10 से 15 मिनट ले भ्रामरी प्राणायाम करे के सलाह देत बाड़े। इs प्राणायाम तनाव कम करे खातिर भी कईल जाला। भ्रामरी प्राणायाम करत घरी ई ध्यान राखल जरूरी बा कि अंगुरी कान के भीतर ना बलुक ट्रैगस पs राखे के चाहीं. अउरी साथ के अँगुरी से ट्रैगस पs दबाव ना डाली.