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सृजन-संवाद के 124वीं गोष्ठी के भइल सफल आयोजन, कविता पाठ पs केंद्रित रहे गोष्ठी

मुंबई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हुबनाथ पाण्डेय आज के प्रशासन पs तंज करत ‘तानाशाह’ आ आज के निर्मम समय पs ‘कहाँ जाओगे तथागत’ कविता सुनवले। बहुविधन में कलम चलावे वाला विनोद दा दिल्ली से मार्मिक कविता ‘मे आई कम इन सर! आ‘बिंदी' कविता में एगो स्त्री के सौंदर्य के प्रस्तुत कइलें।

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साहित्य-सिने-कला संस्था ‘सृजन-संवाद’ के 124वीं गोष्ठी कविता पाठ पs केंद्रित रहल। दिल्ली, भोपाल, मुंबई, केरल, बैंग्लोर, मलेशिया आ जमशेदपुर से कवि लोग आपन कविता के पाठ कइल।

डॉ. विजया शर्मा कवियन, टिप्पणीकारन, श्रोता-दर्शकन के संगे संचालक के स्वागत कइली। ऊ बतवली कि ‘सृजन संवाद’ साहित्य, सिनेमा आ अलग-अलग कला पs हर महीना गोष्ठी करत 11 बरिसन के सफल यात्रा सम्पन्न कइले बा। एह तरे सृजन संवाद आपन पहचान एगो गंभीर मंच के रूप में स्थापित कइलें बा। जल्दिये आपन 125 वीं गोष्ठी सम्पन्न करे वाला बानी सs। कार्यक्रम अनुराग रंजन आ वैभव मणि त्रिपाठी के सहजोग से स्ट्रीमयार्ड आउर सृजन संवाद फेसबुक लाइव पs सम्पन्न भइल।

जमशेदपुर से वीणा कुमारी ‘ हम कुछ दूसरे हैं’ आ ‘जिंदगी’ कविता के पाठ कइली, मलेशिया से डॉ. रश्मि चौबे आपन चार गो छोट-छोट कविता प्रस्तुत कइली, जेमे ‘कोना’ सबके खूब पसंद आइल। जमशेदपुर से आभा विश्वकर्मा ‘सुनो बुद्ध’ आ ‘मैं एक बरगद का वृक्ष हूँ’ के पाठ कइली जेमे ऊ बुद्ध से सवाल कइली। भोपाल से सारंग उपाध्याय ‘पिता समय के पार’ में बतवलें कि ऊ जहाँ रहलें आ जवन संघर्ष ऊ कइलें ओमे उनकर बाबूजी सामिल ना रहस। उनकर दूसरका कविता ‘जो प्रतिस्पर्द्धा से बाहर हैं’ बहूते गहराई लेले कविता बा।

बैंग्लोर से परमानंद रमण गोष्ठी के बढ़िया पोस्टर बनवलें, संगही ऊ कवियन के परिचय देत, कवितन पs टिप्पणी करत गोष्ठी के सफलतापूर्वक संचालन कइलें। ऊ आपन एगो कविता ‘पता नहीं’ सुनवलें, जवना के सबे खूब सराहल। केरल से डॉ. शांति नायर आपन कविता ‘नामकरण’ आ ‘जाले साफ करती स्त्री’ सुनवली। जब कुत्ता पालतु हो जाला तs ऊ कुत्ता ना कहाला  ओकर नामकरण हो जाला। उनका दूसरका कविता में एगो स्त्री थकला के बावजूद दुनिया के जाला साफ करे में जुटल बिया। मुंबई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हुबनाथ पाण्डेय आज के प्रशासन पs तंज करत ‘तानाशाह’ आ आज के निर्मम समय पs ‘कहाँ जाओगे तथागत’ कविता सुनवले। बहुविधन में कलम चलावे वाला विनोद दा दिल्ली से मार्मिक कविता ‘मे आई कम इन सर!’ आ ‘बिंदी’ कविता में एगो स्त्री के सौंदर्य के प्रस्तुत कइलें।

कार्यक्रम के समेटत धन्यवाद ज्ञापन गोमिया से डॉ. प्रमोद कुमार बर्णवाल कइलें। स्ट्रीमयार्ड संचालित एह गोष्ठी में देस-बिदेस से कइयन गो श्रोता/दर्शक उपस्थित रहल लो, ऊ लोग एकरा के देखल, सराहल आ एह पs टिप्पणि कइल।

‘सृजन संवाद’ के मई महीना के गोष्ठी की घोषणा के संगे सभा समाप्त भइल।

532970cookie-checkसृजन-संवाद के 124वीं गोष्ठी के भइल सफल आयोजन, कविता पाठ पs केंद्रित रहे गोष्ठी

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