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Bihar: उपेंद्र कुशवाहा के नयकी पार्टी से बिहार में का बदली, 2024 के लोकसभा चुनाव में कईसन होई सियासी समीकरण?

बिहार के सियासी समीकरण फेरू से करवट लेत नजर आ रहल बा , उपेंद्र कुशवाहा जे कुछ दिन पहिले तक नीतीश कुमार के दहिना बाहिं रहले अब उनका से आपन नाता तूर के एगो नया पार्टी बना लेले बाड़े।

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बिहार के सियासी समीकरण फेरू से करवट लेत नजर आ रहल बा , उपेंद्र कुशवाहा जे कुछ दिन पहिले तक नीतीश कुमार के दहिना बाहिं रहले अब उनका से आपन नाता तूर के एगो नया पार्टी बना लेले बाड़े।ख़बर भोजपुरी एह सियासी पारा पs एगो विशेष रपट रवा सभ के सोझा राख रहल बा। आईं एह रिपोर्ट के माध्यम से जानल जाए बिहार के नयका सियासी समीकरण के बारे में।

उपेंद्र कुशवाहा के नयकि पार्टी के गठन के खूबे चरचा हो रहल बा । सवाल ईहो उठ रहल बा कि आखिर एह नयकी पार्टी के जदयू आ राजद के गठबंधन पs कतना असर पड़ी? उपेंद्र कुशवाहा जदयू के कतना नोकसान पहुंचा सकत बाड़े? बिहार के ताजा सियासी समीकरण के ऊंट आखिर कवना करवट बइठी ? आईं बुझल जाए……

बिहार के सियासत में एह बसंत के मवसम में बहुते उथलपुथल बा। सोमार के जनता दल (यूनाइटेड)  के नेता उपेंद्र कुशवाहा  पार्टी छोड़ दिहले। कुशवाहा  आपन नयकी राजनीतिक पार्टी के  एलानो कई दिहले। एकर नाव ‘राष्ट्रीय लोक जनता दल’ रखले बाड़े । आ ई पहिला बेर नईखे कि उपेंद्र कुशवाहा जदयू के साथ छोड़लें होखसु। एकरा पहिलहुं 2013 में ऊ अइसन कई चुकल बाड़े। ओह घरी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी  (आरएलएसपी) बनवले रहले। आरएलएसपी 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के संगे गठबंधन कई के चुनाव लड़ल रहे आ उपेंद्र कुशवाहा मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्रीयो बनावल गइल रहे।

उपेंद्र कुशवाहा के बिहार के राजनीति में का बा भूमिका ? 

उपेंद्र कुशवाहा के सियासी सफर समता पार्टी से ही शुरू भईल रहे, नीतीश समता पार्टी के कद्दावर नेता रहले। साल 2000 के बिहार विधानसभा चुनावन में हरला के बाद समता पार्टी जदयू में बदल गईल । साल 2003 में नीतीश कुमार  उपेंद्र कुशवाहा के बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनवले रहले। कुशवाहा साल 2000 में पहिला बेर विधानसभा चुनाव जीतले रहले।

ओह बेरा बिहार में लालू प्रसाद यादव के ‘एमवाई’ यानी मुस्लिम-यादव के समीकरण बेहद मजबूत मानल जात रहे। लालू के एह समीकरण के खिलाफ नीतीश कुमार  उपेंद्र कुशवाहा के जरिए ‘लव-कुश’ समीकरण तईयार कइले रहले। लव-कुश समीकरण में कुर्मी, कोइरी, कुशवाहा आ ओबीसी के अउरी गैर यादव जाति शामिल रहली।

2013 में जब भाजपा एनडीए की तरफ से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के चेहरा घोषित कईलस तs नीतीश कुमार  एनडीए के साथ छोड़ दिहिले। एही बेरा उपेंद्र कुशवाहो जदयू से अलगा हो गइले आ उ आपन खुद के नाया पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बनवले (आरएलएसपी) । आरएलएसपी 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के संगे गठबंधन कईके चुनाव लड़ले रहे आ उपेंद्र कुशवाहा ओह मोदी लहर में नाई पs बईठ के ओह चुनाव के महासागर के पार कई लिहले आ मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्रीयो बनावल गइले।

साल 2017 में नीतीश के बिहार में महागठबंधन के छोड़के एनडीए में लवटला के बाद साल 2018 में कुशवाहा  एनडीए के साथ छोड़ देले रहले। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में कुशवाहा के पार्टी आरएलएसपी  विपक्षी महागठबंधन के दामन थमले रहे। एह चुनावन में हार के लपसी भईला के बादे साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कुशवाहा  महागठबंधन के छोड़ के मायावती के बीएसपी आ असदुद्दीन ओवैसी के पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन कइके चुनाव लड़ले। उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी के ना तs 2019 के लोकसभा चुनाव में आ ना 2020 के विधानसभा चुनाव में एको सीट मिलल रहे। 2020 के चुनाव के बाद  कुशवाहा  अपना पार्टी के विलय जदयू में कई देले रहले। नीतीश के महागठबंधन के संगे गईला के कुछे दिन बादे से कुशवाहा के पार्टी से नाराज होखे के खबरन के सिलसिला सुरू हो गईल रहे । करीब दू साल तक जदयू में रहला के बाद सोमार के आखिरकार कुशवाहा फिर से आपन रास्ता नीतीश से अलग कई लिहले।

जदयू-राजद के कतना नोकसान पहुंचा पइहें कुशवाहा? 

एह बात के समझे खातिर रवा बिहार के वरिष्ठ पत्रकार नवीन वाजपेयी के बात के बुझे के पड़ी। उनका अनुसार, ‘बिहार में करीब नौ से दस फीसदी कुशवाहा आ कुर्मी वोटर्स बाड़े। नीतीश कुमार खुदे कुर्मी जाति से आवेले। अइसना में एह जाति के वोटर्स पs केहू एगो नेता के पकड़ नइखे कहल जा सकत बा। हां, अतना जरूर बा कि उपेंद्र कुशवाहा राजनीति के मंझल  खिलाड़ी बाड़े।’वाजपेयी एकरा आगे जोड़ी के कहत बाड़े, ‘मौजूदा सियासी समीकरण के जो अगर देखल जाए तs अभी महागठबंधन के लगे 74 फीसदी से बेसी वोट बा । 2020 में भाजपा के 19.46 फीसदी वोट मिलल रहे। अभी चिराग पासवान के लोकजन शक्ति पार्टी भी भाजपा के बाहर से सपोर्ट कर रहल बिया। अइसना में भाजपा आवे वाला लोकसभा आ फेरू विधानसभा चुनाव में एह छोटहन पार्टियन के सहारा लेके मैदान में उतर सकत बिया। एहसे भाजपा के जातिगत वोटर्स के बीच फायदा मिल सकत बा।’

वाजपेयी के अनुसार, ‘उपेंद्र कुशवाहा अब जदयू आ राजद के ओह नेता लोगन के टारगेट करिहें जेकरा के पार्टी एक तरिका से साइडलाइन कई दिहल गइल बा । अइसन नेता लोगन के उ अपना संगे ले आई के आवे वाला चुनावन में जदयू आ राजद के टक्कर देबे के कोशिश करिहें। संभव   इहो बा कि उ भाजपा के संगे गठबंधनो  कई लेसु। जइसन कि 2014 लोकसभा चुनाव के बेरा कईले रहले । कुशवाहा अगर भाजपा के संगे आवत बाड़े तs भाजपा गैर यादव वोटर्स के अपना संगे करे के भरपूर कोशिश करी। एकर सीधे नोकसान जदयू के उठावे पड़ सकत बा।’

 

गैर यादव वोट के लड़ाई,कतना फेल केतना पास

 

बिहार के राजनीतिक विश्लेषक लोग के बात मानल जाए तs बिहार में MY (मुस्लिम यादव) समीकरण के दिन लद गईल बा । मय पार्टियन के आंखी अब गैर यादव आ गैर मुस्लिम वोटन पs लागल बा। कुशवाहा आ नीतीश के लड़ाइयो कुर्मी वोटरन के no 1 नेता बने के होड़ के चलते बा।अब देखे के ई की भाजपा ,राजद, जदयू आ कुशवाहा के पार्टी कतना एह में पास हो रहल बा ।

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