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Sawan 2022: कुल्हाड़ी के वार से पत्थर से बहे लागल रहे खून, बहुते अजूबा बा गोरखपुर के एह मंदिर के कहानी

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गोरखपुर शहर में इस्थित महादेव झारखंडी शिव भक्तन के आस्था के प्रमुख केंद्र हs। सावन के महीना में पूर्वांचल के अलग-अलग जिलन से लगभग दू लाख शिव भक्त बाबा के जलाभिषेक करे पहुंचे ला लो। बाबा के पूजन-अर्चन के बाद श्रद्धालु मेलो के लुत्फ उठावे ला लो। एह मंदिर के कहानी बहुते हैरान करे वाला बा।

झारखंडी महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी शंभु गिरी गोस्वामी बतवनी कि पहिले इहवां चारों ओर जंगल रहे। लकड़हारा इहां से लकड़ी काटके ले जाव लो आ आपन रोजी-रोटी चलावे लो। पुरान लोग बतावेला कि 1928 में एक दिने एगो लकड़हारा इहवां पs गाछ काटत रहे, तबे ओकर कुल्हाड़ी एगो पत्थर से टकराइल जवना से खून के धार बहे लागल। एकरा बाद ऊ लकड़हारा जेतना बेर ओह शिवलिंग के ऊपर ले आवे के कोसिस करो ऊ आउर नीचे धंसत चल जाव।

लकड़हारा भाग के ई घटना आउर लोग के बतवलस। एही  बीच उहां के जमींदार गब्बू दास के रात में भगवान भोले के सपना आइल कि झारखंडी में भोले प्रकट भइल बाड़ें। एकरा बाद जमींदार आ स्थानीय लोग उहां पहुंच के शिवलिंग के जमीन से ऊपर करे के कोसिस करे लागल, बाकिर ऊ लोग एहमें सफल ना भइल, तs शिवलिंग पs दूध के अभिषेक कइल जाये लागल आ उहां पs पूजा पाठ सुरू भइल। जवन लगातार जारी बा।

बतावल गइल कि एह शिवलिंग पs आजो कुल्हाड़ी के निशान मवजूद बा। मुख्य पुजारी के मोताबिक जंगल होखला के कारण ई स्वयंभू (भगवान शिव कवनो कारणे खुदे शिवलिंग के रूप में प्रकट होखेले) शिवलिंग हमेशा पत्तन से ढकल रहले। एहिसे मंदिर के नाम महादेव झारखंडी पड़ल।

पीपल के गाछ के लगे शेषनाथ के आकृति बा बनल

मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष शिवपूजन तिवारी बतवले कि शिवलिंग के बगल में एगो विशाल पीपर के गाछ बा। ई गाछ पांच पौधन से मिलके बनल बा। एह पीपर के जड़ के लगे शेषनाग के आकृति बन गइल बा। ई आकृतियो लोगन के आस्था के केंद्र हs।

हर बार असफल रहल शिवलिंग के ऊपर छत डाले के कोसिस 

कोषाध्यक्ष अशोक आ सचिव राजनाथ यादव बतावल लो कि झारखंडी महादेव मंदिर में शिव लिंग खुलल आसमान में बा। कव बेर शिवलिंग के ऊपर छत डाले के कोसिस कइल  गइल, बाकिर कवनो ना कवनो कारण से उ पूरा ना हो सकल। ओकरा बाद शिवलिंग के खुलले में छोड़ दिहल गइल बा आ ओकरा ऊपर पीपर के गाछ के छांव रहेला।

साभार: अमर उजाला

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