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Places of Worship Act 1991: केंद्र प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से मंगलस समय, जनवरी के पहिला हफ्ता में होई सुनवाई

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के मोताबिक, 15 अगस्त 1947 के धार्मिक स्थलन के इस्थिति जइसन रहे, ओकरा के वइसही रखल जाई। बाकिर अयोध्या के राम मंदिर के ममिला के एकरा के अलग रखल गइल।  

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Places of Worship Act 1991 Hearing: प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ दाखिल याचिका प जवाब देवे खातिर केंद्र सरकार एक बेर फेर सुप्रीम कोर्ट से समय मंगले बिया। कोर्ट सरकार के 12 दिसंबर तक जवाब दाखिल करे के निरदेस दिहल गइल बा। ममिला जनवरी के पहिला हफ्ता में सुनल जाई।

2020 में दाखिल याचिका प सुप्रीम कोर्ट 12 मार्च 2021 के नोटिस जारी कइल गइल रहे। बाकिर अब तक केंद्र कवनो स्टैंड नइखे लिहल गइल। एह साल 9 सितंबर के कोर्ट केंद्र से 2 हफ्ता में जवाब दाखिल करे के कहले रहे। बाकिर सरकार के तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता एक बेर फेर समय देवे के अनुरोध क दिहेलें। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अध्यक्षता वाला बेंच एकरा के स्वीकार क लिहल।

का बा ममिला?

1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट सब धार्मिक स्थलन के इस्थिति 15 अगस्त 1947 वाला बना के रखला के बात कहत बा। एकरा के चुनौती देवे वाली कइयन गो याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल भइल बा। एह याचिका में एह कानून के मौलिक आ संवैधानिक अधिकारन के विरुद्ध बतावल गइल बा। कहल गइल बा कि इ कानून हिंदू, जैन, सिख आ बौद्ध समुदाय के आपन अधिकार मांगे से वंचित करत बा।

धार्मिक-सांस्कृतिक अधिकार के दलील

सुप्रीम कोर्ट में वकील अश्विनी उपाध्याय के अलावे बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी, विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ जइसे कइयन याचिकाकर्ता लोग कानून के चुनौती देले बा लो। ऊ कहलें कि कवनो मसला के कोर्ट तक ले आवल हर नागरिक के संवैधानिक अधिकार बा। बाकिर ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ नागरिकन के एह अधिकार से वंचित करत बा। ई कानून हिंदू, सिख, बौद्ध आ जैन समुदाय के अपना ओह पवित्र स्थलन प दावा करे से रोकत बा, जवना के जगह प जबरन मस्ज़िद, दरगाह भा चर्च बना दिहल गइल रहे। ई ना खाली न्याय पावे के मौलिक अधिकार के हनन बा, बलुक धार्मिक आधार प भेदभाव बा।

स्वामी लेलें अलग स्टैंड

आज भइल सुनवाई में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी बाकी याचिकाकर्ता लोगन से अलग बात कहलें। स्वामी कहलें, “ऊ पूरा कानून के चुनौती नइखन देत। उनकर मांग खाली इहे बा कि जवना तरे एह कानून में अयोध्या ममिला के अपवाद रखल गइल रहे। ओहि तरे ई छूट 2 गो आउर धार्मिक स्थलन (काशी आ मथुरा) के दे दिहल जाये। स्वामी कहलें उनकर याचिका प अलग से सुनवाई होेखे के चाहीं”। एह प चीफ जस्टिस कहलें कि अगिला सुनवाई में उनकर एह मांग प विचार कइल जाई।

जमीयतो पहुंचल बा कोर्ट

सुन्नी मुस्लिम उलेमन के संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ममिला में सुप्रीम कोर्ट पहुंचल बा। जमीयत कहलस कि अयोध्या विवाद के फसीला में सुप्रीम कोर्ट ई कह चुकल बा कि बाकी ममिलन में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के पालन होई। एहिसे, अब एह कानून के चुनौती देवे वाली याचिका प सुनवाई ना होखे के चाहीं। एह तरे के सुनवाई से मुस्लिम समुदाय में डर आ असुरक्षा के माहौल बनी। कोर्ट आज कहलस के सरकार के हलफनामा दाखिल होखला के बाद जमीयत समेत सब पक्ष ओह प आपन जवाब दाखिल क सकत बा।

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