चैत्र महीना के पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान भक्त हनुमान जी के जन्मोत्सव मनावल जाला। देशभर में एह पर्व के बहुते धूमधाम के संगे मनावल जाला। भगवान श्री विष्णु के राम अवतार के समय सहयोग करे खातिर रुद्रावतार हनुमान जी के जनम भइल रहल।
हनुमान जी के जन्म राम जी के भक्ति खातिर भइल रहल। एह साल हनुमान जयंती 16 अप्रैल के दिन मनावल जाई। मान्यता बा कि हनुमान जी अमर बाने। अंजनी पुत्र हनुमान जी के कुछ अइसन रहस्य बा जेके बहुत कम लोग जानत बाने। आई जानल जाए कुछ अइसने रहस्य के बारे मे।
धार्मिक मान्यता बा कि पवनपुत्र हनुमान जी के जनम कर्नाटक के कोपल जिला में स्थित हम्पी के लग्गे एगो गांव में भइल रहल। मान्यता बा कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही ऊ जन्मल रहने। हनुमान जी के जन्म के उद्देश्य श्री राम के सहयोग कइल रहल।
हनुमान जी के भगवान इंद्र देव ई वरदान देहले रहल कि ऊ अपने इच्छा से मृत्यु के प्राप्त क सकत बाने। उहवें, भगवान श्री राम के वरदान के अनुसार युग के अंत होन पर हनुमान जी के मुक्ति प्राप्त होई। उहवें, माता सीता के वरदान अनुसार ऊ चिरंजीवी रहियें। माई सीता के एही वरदान के चलते द्वापर युग में हनुमान जी के उल्लेख मिलsला। एहमें ऊ भीम अउर अर्जुन के परीक्षा लेत दिखत बाने। कलियुग में ऊ तुलसीदास जी के दर्शन देहने। श्रीमद् भागवत में बतावल गइल बा कि कलियुग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करत बाने।
प्रभु राम भक्त हनुमान जी के लेके मान्यता बा कि ऊ ब्रह्मचारी बाने। लेकिन ब्रह्मचारी होखले के बादो उ एक लइका के पिता रहने। पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता के खोजे लंका ओर जात समय में उनकर एगो राक्षस से युद्ध भइल रहल। ओके हरवले के बाद ऊ थक गइने अउर उनकर पसीना के बूंद के मगरमच्छ घोट लेहलस जौने के बाद मकध्वज नाम के एक पुत्र उत्पन्न भइल।
धार्मिक मान्यता बा कि राम भक्त हनुमान जी माई दुर्गा के भी सेवक बाने। माता के आगे-आगे हनुमान जी चलत बाने अउर पीछे-पीछे भैरव जी। देश में जेतना मंदिर बा उहाँ आसपास हनुमान जी अउर भैरव जी के मंदिर जरूर होला।
मेष लग्न में भइल रहल हनुमान जी के जनम
हनुमान जी ब्रह्मचारी के रूप में ही पूजल जाने। एहलिए ग्रंथ में भोरे 4 से रात 9 बजे ले उनकर पूजा के विधान बतावल गइल बा। हनुमानजी के जनम मेष लग्न में भइल रहल। जौन कि एह बेर बिहाने 6 से साढ़े 7 बजे ले रही। एह डेढ़ घंटा के शुभ लग्न मुहूर्त में हनुमान जी के पूजा कइले के बहुत महत्व रही।