चुनाव से पहिले ‘मुफ्तखोरी’ पs सख्त सुप्रीम कोर्ट, केंद्र से कहलस- रेवड़ी कल्चर’ पs काबू करs

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चुनाव से पहिले मुफ्त योजना के वादा माने ‘रेवड़ी कल्चर’ के सुप्रीम कोर्ट एगो गंभीर मुद्दा बतवले बा। कोर्ट एह पs नियंत्रण करे खातिर केंद्र से डेग उठावे के कहले बा। CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी आ हिमा कोहली के बेंच केंद्र से कहलस कि एह समस्या के हल निकाले खातिर वित्त आयोग के सलाहन के इस्तेमाल कइल जा सकत बा।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से एह ममिला में राय मंगले। ऊ कवनो आउर ममिला के सुनवाई खातिर कोर्ट में मवजूद रहस। CJI  कहले, मिस्टर सिब्बल इहां मवजूद बाड़ें आ ऊ एगो वरिष्ठ संसद सदस्यो बाड़े, एह ममिला में इनकर का विचार बा? सिब्बल कहले, ई बहुते गंभीर ममिला बा बाकिर राजनीति से एकरा के नियंत्रित कइल बहुते मुश्किल बा। जब वित्त आयोग राज्यन के फंड आवंटित करेला तs ओकरा राज्य पs कर्ज आ मुफ्त योजनन पs विचार करे के चाहीं।

सिब्बल कहले, वित्त आयोग एह समस्या से निपट सकेला। हमनी के आयोग से एह ममिला से निपटे ला कह सकत बानी सs। केंद्र से उम्मीद नइखे कइल जा सकत बा कि उ एह ममिला में कवनो निरदेस दिही। एकरा बाद बेंच अडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहलस ऊ सिब्बल के सलाहन पs आयोग के विचारन के पता करी। अब एह ममिला में 3 अगस्त के सुनवाई होई।

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के तरफ से पेश भइल वकील अमित शर्मा कहले कि पहिले के फसिला में कहल गइल रहे कि केंद्र सरकार एह ममिला से निपटे खातिर कानून बनावे। ओहिजा नटराज कहले कि ई चुनाव आयोग पs निर्भर करेला। सीजेआई रमना नटराज से कहले, सीधा -सीधा ई काहे नइख कहल जात कि सरकार के एकरा से कवनो लेना देना नइखे आ जवन कुछ करे के बा चुनाव आयोग करे। हम पूछत बानी कि केंद्र सरकार मुद्दा के  गंभीर मानत बिया कि ना? पहिले डेग उठावल जाव ओकरा बाद हम फसिला करेम कि एह तरे के वादा आगे होई कि ना, आखिर केंद्र डेग उठावे से परहेज काहे कs रहल बा।’

ममिला में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय कहले कि ई गंभीर मुद्दा बा आ पोल पैनल के राज्यन आ राष्ट्रीय स्तर के पार्टियन के मुफ्त के वादा करे से रोके के चाहीं। उपाध्याय कहले कि राज्यन पs लाखन करोड़न के कर्ज बा। हमनी के श्रीलंका के रस्ता पs जा रहल बानी सs। पहिलहु कोर्ट केंद्र आ चुनाव आयोग से एह याचिका पs प्रतिक्रिया मंगले रहले। उपाध्याय अपना याचिका में दावा कइले बाड़ें कि मतदाता लोगन के रिझावे आ आपन मनसूबा कामयाब करे खातिर राजनीतिक दल मुफ्तखोरी के इस्तेमाल करत बा लो। एहसे फ्री आ फेयर इलेक्शन के जड़ हिल जाला। एहसे भ्रष्टाचार के बढ़ावा मिलेला।

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