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संस्कृत के चुनिंदा सुभाषित : भोजपुरी अर्थ के संगे शुभेन्द्र सत्यदेव के कलम से

लेखक परिचय - लेखक पेशा से अधिवक्ता बाड़ें अउर सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधिन में सक्रिय रहेलें। साहित्य में रुचि रखेलन अउर लेखन, चर्चा आ बौद्धिक विमर्श में गहिरा रुचि रखेलन।

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अन्यायोपार्जितं वित्तं दस वर्षाणि तिष्ठति।
प्राप्ते चैकादशेवर्षे समूलं तद् विनश्यति।।

भोजपुरी अर्थ- अन्याय आ गलत तरीका से कमावल गईल धन के उमर दस साल होखेला। इगारहवा साल ऊ मूलधन सहिते नष्ट हो जाला।

उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
यथा सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति न मुखेन मृगाः।।

भोजपुरी अर्थ- कौनो काम उद्यम (मेहनत) से ही पूरा होखेला। मन में इच्छा कइले से काम पूरा नाहीं होवेला। ई वइसे ही बा जइसे सूतल शेर के मुंह में कौनो हिरन अपने आपे नाहीं घुस जावेला।

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रा तंद्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।

भोजपुरी अर्थ– आपन कल्याण (भलाई) के इच्छा रखे वाले मनई के नींद, अनकुसावन, डर, रीस (क्रोध), आलस आ देरी, ई छह गो दोष के हमेशा खरतिन के छोड़ देवे के चाही।

श्वः कार्यमद्य कुर्वीत पूर्वान्हे चापरान्हिकम्।
न हि प्रतीक्षते मृत्युः कृतमस्य न वा कृतम्।।

भोजपुरी अर्थ- काल कइल जावे वाला कौनो काम आजे (एहजूनिये) आ सांझे में कइल जाबे वाला कौनो काम भोरे में निपटा लेवे ले चाही। काहे से की मौत ई नाहीं देखेले की एहकर कमवा पूरा भईल कि नाहीं।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।

भोजपुरी अर्थ- जौने घरे औरतन के आदर सम्मान होखेला ओह घरवा में देवता लोग निवास करेलें। अउर जौने घरे औरतन के इज्जत नाहीं दिहल जाला ऊँहां सगरो काम बेकार और निष्फल हो जावेला।

मातृवत परदारांश्च परद्रव्याणि लोष्टवत्।
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स पश्यति।।

भोजपुरी अर्थ- दूसरा के मेहरारू के जे कोई माता के समान अउर दूसरा के रुपया पैसा के मिट्टी के ढेला के समान अउर सगरो प्राणी के आपन खुद के समान जे देखल करेला ओहि के दृष्टि के असली और सफल दृष्टि कहल जाला।

मूढ़ैः प्रकल्पितं दैवं तत परास्ते क्षयं गताः।
प्राज्ञास्तु पौरुषार्थेन पदमुत्तमतां गताः।।

भोजपुरी अर्थ- भाग के कल्पना महामूर्ख लोग ही करेलन सन। जे कौनो बुद्धिमान होखेला ऊ अपना मेहनत, करम अउर पुरुषार्थ पर भरोसा कइल करेला अउर ओकरे सहारे बड़हन इज्जत पानी पावेला।

 

संकलन आ अनुवाद – शुभेन्द्र सत्यदेव

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