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साहित्ये करावेला मानवता के गियान, प्रो. अरुण कुमार भगत!

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साहित्ये करावेला मानवता के गियान, प्रो. अरुण कुमार भगत!

“साहित्य संवेदना के धरातल पs पुष्पित, पल्लवित आ फलित होखेला, हमनी के आपन संस्कृति के रक्षा खातिर सबसे पहिले मानवीय संवेदना के रक्षा करे के होई।” ई कहल रहे साहित्य अकादमी समेत देश के अनेक बोर्डन के वरिष्ठ सदस्य प्रो अरुण कुमार भगत जी के, जे करवतही बाजार में संस्कार भारती द्वारा आयोजित सदानीरा उत्सव में सामिल होखे पटना से आइल रहनी। सदानीरा महोत्सव में प्रो भगत के अलावे गोपालगंज के विधान पार्षद श्री आदित्य नारायण पाण्डेय, पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी, पूर्व प्रमुख श्री रवि प्रकाश मणि त्रिपाठी, संस्कार भारती के संगठन मंत्री श्री वेद प्रकाश, अनिल कुमार मिश्रा, जिला पार्षद ओमप्रकाश सिंह समेत कइयन गो आउर समाजसेवी सामिल भइल लो।

साहित्य के शहरन के वातानुकूलित कमरन से निकाल के खेतन के मेड़ तक ले जाये के उद्देश्य से सुरू भइल एह आयोजन में समूचा देस से लेखक आ कवि सामिल भइल लो। कार्य्रकम में ‘ नए रचनाकारों के समक्ष चुनौतियां’ आ  ‘हिन्दू इकोसिस्टम के बहाने बदलती तस्वीर’ आदि विषयन पs परिचर्चा भइल, जेमे  साहित्यकार लो आपन विचार राखल।

हॉरर उपन्यास ‘मधुबाला’ के भइल लोकार्पण

मंच पs कृपाशंकर मिश्र खलनायक के बेस्ट सेलर उपन्यास “मधुबाला” के दूसरका संस्करण के विमोचन भइल , संगही कार्यक्रम के स्मारिका आ सूर्यांश द्विवेदी के उपन्यास के कवर पेज के लोकार्पण भइल। कार्यक्रम में भाग लेवे ला समूचा देस से श्रोता आ पाठक आइल रहे लो। कार्यक्रम के सन्चालन चंपारण के प्रसिद्ध जुवा साहित्यकार जलज कुमार अनुपम जी कइनी।

मधुबाला के भइल लोकार्पण

पहिला बेर मंच से भोजपुरी कहानी पाठ भइल

पहिला बेर कवनो मंच पs ‘भोजपुरी स्टोरी टेल’ के कॉन्सेप्ट लेके आइल टीम यायावरी वाया भोजपुरी।
‘यायावरी वाया भोजपुरी’ कावर से सुधीर कुमार मिश्र,  सर्वेश तिवारी श्रीमुख के प्रसिद्ध कहानी ‘अंतिम प्रार्थना’ जेकर भोजपुरी अनुवाद अनुराग रंजन कइले बानी, के भावपूर्ण पाठ कइनी। ई भावुक प्रस्तुति सभे के मन मोह लेलस आ सब लोग आपन लोर पोछत लउकल। भोजपुरी में मंच से स्टोरी टेलिंग के ई पहिला कोसिस रहे।

कहानी पाठ करत सुधीर कुमार मिश्र

आशीष त्रिपाठी के मिलल साहित्य के “सदानीरा सम्मान 2022”

जुवा लेखक आशीष त्रिपाठी के बरिस 2022 के “सदानीरा साहित्य सम्मान” दिहल गइल।  ई सम्मान उहाँ के प्रसिद्ध उपन्यास “पतरकी” खातिर देहल गइल। आशीष मूल रूप से गोरखपुर के रहनिहार हई आ कइयन गो पत्र-पत्रिका ला लेखन करेनी। उहाँ के एगो आउर उपन्यास बाला सेक्टरो बेस्टसेलर रहल बा।

आशीष त्रिपाठी के मिलल साहित्य के सदानीरा सम्मान 2022

कविसम्मेलन में बहल काव्यधारा

कार्यक्रम के दूसरका सत्र में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देर रात ले काव्यधारा बहत रहल। मंच से कविता, गीतन के गायन होत रहल मुग्ध श्रोता झूमत आ वाह वाह करते रहे लो। कवि सम्मेलन के सुरूआत  बस्ती, उत्तरप्रदेश के प्रसिद्ध कवयित्री शिवा त्रिपाठी सरस माँ सरस्वती के वंदना “हे माँ विराजो कंठ में शुचि ज्ञान को विस्तार दो” से कइनी। ओकरा बाद प्रशान्त सौरभ संस्कृत में काव्यपाठ कs के मंच के ऊंचाई देले। प्रशांत ने संस्कृत आ भोजपुरी मिलाके  जवन “नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय…” के पाठ कइले कि उ लोगन के वाह वाह करे पs मजबूर कs देलस! ओकरा बाद अवध के धरती से आइल वरिष्ठ कवि ज्ञान प्रकाश आकुल भगवान राम आ भरत के भातृत्व पs छन्द पढ़के कवि सम्मेलन के अगिलका स्तर पs पहुँचवले। गोरखपुर के धरती से आइल संदीप सिंह श्रीनेत अपन कविता “छोटा सा शहर हूँ मगर छोटा किरदार नही” पढ़कर खूब वाहवाही बटोरले। जिला के वरिष्ठ कवि संजय मिश्र संजय ने आपन प्रसिद्ध गजल ‘मैं समझता था कि वो किस्सा पुराना हो गया” पढ़ के समा बनवनी, तs बनारस से आइल सुशांत शर्मा आपन खण्डकाव्य जटायु से “भक्त से नाता छूटे भगवान के, छूटे न भाई से भाई के नाता” सुना के श्रोता लोगन के को भाव विह्वल कs देले। एकरा आलावे छपरा के कवि निर्भय नीर, दिल्ली से आइल नित्यानन्द नीरव, बलिया से आइल अशोक तिवारी आ आलोक पाण्डेय आ जिला के कवि सत्यप्रकाश शुक्ल आपन कविता से लोगन के झुमवनी। एह कार्यक्रम के अध्यक्षता जिला  के वरिष्ठ कवि सुभाष संगीत कइनी आ मंच संचालन संजय मिश्रा संजय जी कइनी।
कवि सम्मेलन में सदानीरा महोत्सव के संरक्षक, पूर्व मुखिया अशोक कुमार पाण्डेय के अलावे मनोज पाण्डेय, मृत्युंजय पाण्डेय, सर्वेश तिवारी श्रीमुख, विवेक पाठक, राजीव रंजन भारद्वाज, दीपक पाण्डेय, नन्दीश्वर द्विवेदी राजन, आदित्य प्रकाश पाण्डेय, अवनीश तिवारी, मनिन्द्र पाण्डेय, प्रीतम पाण्डेय, राज शुक्ल, सतीश द्विवेदी, अमित पारिजात, सुधाकर सिंह, दुर्गाचरण पाण्डेय, धीरज सिंह, मास्टर सिंह, द्वारिका सिंह, विश्वकर्मा मांझी, रवि पंडित, जितेंद्र प्रसाद, गौरव मणि त्रिपाठी, सतीश दुबे आदि लोग उपस्थित रहे।

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