कला सृजन सम्मान से सम्मानित भइलें चित्रकार संजीव सिन्हा; भोजपुरी चित्रकला में हासिल बा महारत 

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भारतीय लोक साहित्य एआ संस्कृति के संरक्षित एवं संवर्धित करे के उद्देश्य से जीवनोदय शिक्षा समिति, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय आ स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में समारोह के आयोजन भइल। एह दौरान भोजपुरी चित्रकला के क्षेत्र ने बेहतरीन काम खातिर सर्जना न्यास ट्रस्ट के अगुआ संजीव सिन्हा के कला सृजन सम्मान से सम्मानित कइल गइल।

उत्तर सत्ययुग में भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के पुनरावलोकन” विषय पs दु दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार भइल। जवना के उद्घाटन सत्र में प्रो. सदानंद शाही कहलें कि उत्तर सत्य के अर्थ होला, सत्य के बाद के समय। सत्य के बाद या तs झूठ होला ना तs अति सत्य। भोजपुरी एही के शिकार बिया। ओकरा नाम पs कइयन तरे के झूठ फइलावल गइल बा। ढेर तरे के मनगढ़ंत आरोप मढ़ल गइल बा।

एह मवका पs चित्रकार संजीव सिन्हा कहलें कि भोजपुरी चित्रकला के संरक्षण आ संवर्धन तबे संभव बा जब भोजपुरी भाषा भाषी लोगन में अपना कला आ संस्कृति के लेके गौरव बोध होई। एकरा खातिर छोट-बड़ स्तर पs कार्यशाला के आयोजन बहुत जरूरी बा।

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