दान ले के दान दिहले के खेल करे वालन के सूची तैयार, शासन तय करी भविष्य
दान ले के दान देवे वालन के कुंडली जिला स्तर प बने के रहे, लेकिन ओकरा से पहिले सरकारी स्तर प बनल रहे। राजधानी में विशेष सॉफ्टवेयर के मदद से चंदा लेके दान देवे के खेल में शामिल लोग के पहचान कईल गईल बा।
दरअसल दान के रिकार्ड में डाक टिकट शुल्क छूट के बढ़त दुरुपयोग के जाँच करे खातिर सरकार ब्लड रिलेशन में दान लेके ओही संपत्ति दान करे वाला लोग के सूची बनावे के निर्देश देहले रहे। एकरा खातिर सात दिन के समय दिहल गईल रहे। जिला में अइसन लोग के सूची सात दिन में ना बनावल जा सकल, जबकि ए बीच सरकारी स्तर पs सूची तैयार भईल।
चंदा के रिकार्ड में छूट देवे के योजना 17 दिसंबर से खतम हो जाई। एकरा बाद सरकार समीक्षा करी कि योजना केतना फायदेमंद रहल। एकरा चलते राजस्व में का नुकसान भईल? मानल जाता कि समीक्षा में चंदा लेवे अउर चंदा देवे से होखे वाला नुकसान के आकलन कईल जाई। अगर योजना के आगे आगे बढ़ावल जाई त चंदा लेके ओही संपत्ति के दान करे प कुछ रोक लगावल जाई, ताकि योजना के गलत इस्तेमाल ना होखे। हो सकेला कि एह तरह के कुछ अउर संशोधन होखे।
करीब 40 करोड़ के लाभ ले चुकल बानें सब खून के रिश्ता में बैनामा करावे वाले
डीआईजी स्टाम्प केपी पांडेय बतवले कि सरकार के निर्देश के मुताबिक दान लेके दानदाता के विवरण तैयार कईल जाता, लेकिन अब विशेष सॉफ्टवेयर के मदद से मुख्यालय स्तर प सूची तैयार हो गईल बा। अब जिला स्तर प विवरण एकट्ठा करे के काम बंद हो गईल बा। अभी ले पता नइखे चलल कि जिला के केतना लोग के नाम ए सूची में दर्ज बा।
राज्य सरकार 20 जून 2022 से दान विलेख योजना शुरू कईले रहे। योजना के प्रभावी होखे के आखिरी तारीख 17 दिसंबर बा। ए योजना के तहत गोरक्षनगरी में खून संबंध में बैनामा करावे वालन के अब ले करीब 40 करोड़ के मुनाफा मिलल बा।
इनके अचल संपत्ति दान कइले पर बा स्टांप में छूट
पिता-माता, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, पुत्रवधु (पुत्र की पत्नी), दामाद (पुत्री का पति), सगा भाई, सगी बहन, पुत्र/पुत्री के पुत्र-पुत्री।
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