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डीडीयू के हिंदी विभाग में मातृभाषा के महत्व आउर हिंदी विषय पs विशिष्ट व्याख्यान भइल आयोजित

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गोरखपुर। हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग आ संस्कृत एवं प्राकृत विभाग के तत्वावधान में मातृभाषा के महत्व आउर हिंदी विषय पs विशिष्ट व्याख्यान आयोजित कइल गइल।

एह कार्यक्रम के संचालन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ० सुनील यादव कइलें। डॉ० कुलदीपक शुक्ल के सरस्वती वंदना के संगे एह कार्यक्रम के सुरुआत भइल। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में हिंदी विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो० अनिल कुमार राय आपन विचार व्यक्त करत कहलें कि बहुभाषिकता आ बहुसांस्कृतिकता के दौर में हमनी के सब मातृभाषा के सम्मान देव के संकल्प लेवे के चाहीं आ हमनी के हिंदी को लेके अतिरंजित भावुकतापूर्ण टिप्पणी ना देवे के चाहीं। काहेकि एसे हिंदी के सम्मान होखे ना होखे आउर भाषा के अपमान जरूर होला ऐसे हमनी के सब भाषा के महत्व के स्वीकार करे के चाहीं।

कार्यक्रम में स्वागत वक्ता के रूप में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० दीपक प्रकाश त्यागी आपन भूमिका निभवलें। विषय पs आपन बात रखत राधावल्लभ त्रिपाठी के कविता मालवी के माध्यम से मातृभाषा से अपना प्रेम के स्पष्ट करत आगे कहलें कि भारत के भाषायी विविधता भारत के सांस्कृतिक विविधता के आकार देला एहिसे भाषा के बीच संवाद बहुत जरूरी बा।

एह कार्यक्रम के अध्यक्षता भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो० नंदिता सिंह कइली। अपना स्विजरलैंड के यात्रा के संदर्भित करत ऊ बहुभाषिकता पs जोर देलें आ अउरियो भाषा के सीखे के बात कहलें।

कार्यक्रम में मातृभाषा के महत्व पs वक्ता के रूप में हिंदी विभाग के आचार्य प्रो० विमलेश कुमार मिश्र भगवती प्रसाद सिंह के भोजपुरी कविता के माध्यम से मातृभाषा प्रेम के व्यक्त करत आगे कहलें कि हिंदी हमनी के मातृभाषा हs आ ऊ एहिसे समृद्ध बा काहेकि ई कइयन भाषा जे समुच्चय हs। हमनी के भावाभिव्यक्ति खाली मातृभाषा में संभव बा। एकरा संगही ऊ नया शिक्षा नीति में CBCS सिस्टम पs व्यंग्य करत कहलें कि प्रश्नन के वस्तुनिष्ठता के कारण विद्यार्थी में लिखला के प्रवृति ओरात जा रहल बा।

संस्कृत विभाग के डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी कहलें कि संस्कृत सब भाषा के जननी हs एहिसे हमनी के संस्कृतो के ओतने सम्मान देवे के चाही जेतना हमनी के हिंदी के देनी सs।

उर्दू विभाग के प्रो० साजिद हसन अंसारी मातृभाषा से जुड़ल सामाजिक-धार्मिक रूढ़ियन के उजागर करत स्पष्ट कहलें कि उर्दू खाली मुसलमानन के भाषा ना हs आ ना हिंदी खाली हिन्दुअन के भाषा हs। हमनी भारतीय हई सs, हिंदी उर्दू हमनी सभे के भाषा हs।

कार्यक्रम में हिंदी विभाग से प्रो० राजेश कुमार मल्ल, प्रो० प्रत्युष दुबे, डॉ० रामनरेश राम, डॉ० संदीप यादव, डॉ० अखिल मिश्र आ डॉ० अभिषेक शुक्ल के संगे सेंट एंड्रूज कॉलेज से प्रो० प्रभा सिंह उपस्थित रहली।

कार्यक्रम संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ० रंजनलता के आभार ज्ञापन के संगे समापन भइल।

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