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गुरु गोरखनाथ भोजपुरी के आदि कवि: डॉ प्रमोद कुमार तिवारी

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गुरु गोरखनाथ भोजपुरी के आदि कवि: डॉ प्रमोद कुमार तिवारी

डॉ० प्रमोद तिवारी- भोजपुरियत के थाती के लेखक 

यायावरी वाया भोजपुरी के हप्तावारी बईठकी “बुधवारी बईठकी” में एह बेर गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक डॉ. प्रमोद कुमार तिवारी जी से उन्हां के अबही हाले में आईल किताब “भोजपुरियत के थाती” पs वैभव मणि त्रिपाठी जी के संगे बतकही भइल।

उँहा के किताब एगो किताब ना होके एगो शोध पत्र अस बा ,किताब पs बतकही करत उहाँ के कहनी की ई बड़ा दुःख के बात बा कि भोजपुरी में आतना काम भइल बा तबो लोग ओकरा के भाषा के रुप ना देखे ला आ जबकि साँच ई बा कि भोजपुरी में भाषा आ साहित्य पs अतना काम भइल बा आ गहिराह काम भइल बा कि ई भाषा दुनिया के कवनो श्रेष्ठ भाषा के सोझा ठाड़ होखे के कूवत राखत बिया। आगे बतकही करत उँहा के कहनी की लोग माने ला कि भोजपुरी के आदिकवि कबीर दास जी हईं बाक़िर कबीर दास जी से पहिले गुरु गोरखनाथ जी भोजपुरी में साखी आ बानी लिखनी ,एकरा पs अधिका जोर देत कहनी की “जब गावँ गिरान में जोगी लोग जाए या निर्गुण बानी सुनावे भोजपुरी आ उ लोग तs कबीर दास जी पहिलहूँ रहल एह से ई साबित होता कि गुरु गोरखनाथ जी के भोजपुरी के आदिकवि कहे में कवनो दिक्कत ना होखे के चाहीं।

 

भोजपुरी में आत्मकथा आ आलोचनात्मक गद्य के रचल बहुत जरूरी बा:-
एहि चर्चा में एगो सवाल के जवाब देत डॉ. तिवारी कहनी की भोजपुरी के वाचिक परम्परा के लोग भाषा माने ला ,कारण एकर ई बा कि भोजपुरी में जतना गीत ,ग़ज़ल कविता लिखाईल ओतना कहानी ,आत्मकथा, आलोचना, समीक्षा आ समालोचना तरह के कवनो गद्य ओतना ना लिखा पाईल। अब नवका पीढ़ी के ई जिमेवारी बनत बा कि अइसन कुल्ह गद्य के रचला के काम बा ।

उँहा के अचरज जतावत कहनी की 20 करोड़ के आबादी बा रवा भाषा के लगे बाकिर एगो सबहुत नीक वेबसाइट नइखे? रवा भले 5 लाखे होखीं बाक़िर राउर भाषा मे का बा ई सबका पता चले चाही आ आवे वाला नवका पीढ़ी के एह काम के लेके जागरूक होखला के काम बा।  https://bhojpurisahityangan.com/ वेबसाइट के चर्चा करत कहनी की बहुत किताब ओहिजा बाड़ी सs बाक़िर अभी अउरी भोजपुरिया लोग के अइसन कुल्ह ठेहा के जरूरत बा जवना से सब अपना भाषा के नीक से बुझ सको आ लिख पढ़ सको।

कबीर दास जी के बात करत उँहा के कहनी की कबीर दास जी भोजपुरिया मनई रहनी ई आ उहाँ के पूरा भारत भर के कवि आ बड़हन संत भइनी बाक़िर जवन उँहा के पद भा भजन, निर्गुण आजुओ लोग गावेला उ कहीं केनियो कवनो किताब भा ग्रन्थ में ना मिलेला ,चूंकि भाषा चलयमान हs उ स्थिर ना रही सकेले बाक़िर ओकर मूल रूप के राखल बहुत जरूरी बा कबीर ग्रन्थावली भा अउरी जतना किताब दास जी पs लिखाईल ओह में से भोजपुरी के पुट ना मिले तs एह से साबित हो रहल बा कि भोजपुरी के फ़यदा से बेसी नोकसान भइल। अंत मे उँहा के कहनि की भोजपुरी जतना लिखाईल आ रचाइल बा ओकरा के सबका सोझा लेके आईल बहुत जुरूरी बा रवा साँच के बहुत देरी तक दबाई के ना राख सकेनी आ उ देर-सबेर लोगन के सोझा अइबे करी।

खबर भोजपुरी खातिर ई खास रिपोट सुधीर कुमार मिश्र के लिखल हs…

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